IPO मार्केट में हलचल मचाने आ रहा है ग्रो, ₹5800 करोड़ जुटाने की योजना
- स्टॉक ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म ग्रो (Groww) IPO के जरिए 700 मिलियन डॉलर (करीब ₹5,800 करोड़) जुटाने की योजना बना रहा है। IPO से पहले ग्रो ने अपना डोमिसाइल अमेरिका से भारत शिफ्ट कर लिया है। ये कदम उसने पिछले साल नवंबर में उठाया था।

IPO: स्टॉक ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म ग्रो (Groww) नए फंडिंग राउंड की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी $200 मिलियन (करीब ₹1,660 करोड़) जुटाने की योजना बना रही है। इसके लिए ग्रो ने सिंगापुर के सॉवरेन वेल्थ फंड जीआईसी और मौजूदा इन्वेस्टर टाइगर ग्लोबल से बातचीत शुरू की है। अगर ये डील होती है, तो बेंगलुरु की इस स्टार्टअप की वैल्यूएशन 6.5 अरब डॉलर (करीब ₹54,000 करोड़) तक पहुंच सकती है। बता दें, 2021 में ग्रो की वैल्यूएशन सिर्फ 3 अरब डॉलर थी। ग्रो को ललित केशरे, हर्ष जैन, ईशान बंसल और नीरज सिंह ने मिलकर 9 साल पहले शुरू किया था। शुरुआत में ये सिर्फ म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर था, आज भारत का सबसे बड़ा स्टॉक ब्रोकर बन चुका है।
मार्केट में हलचल तो बढ़ाएगा ग्रो का IPO और नई स्ट्रैटेजी
ग्रो का IPO और नई स्ट्रैटेजी मार्केट में हलचल तो बढ़ाएंगी, लेकिन सेबी की सख्ती और F&O पर निर्भरता चुनौती बनी हुई है। GIC और टाइगर ग्लोबल ने अभी कोई कमेंट नहीं किया है। ग्रो ने भी ET के सवालों का जवाब नहीं दिया।
ये फंडिंग ग्रो के आगामी IPO से पहले की तैयारी है। जानकारों का कहना है कि कंपनी अगले कुछ महीनों में ही IPO के लिए ड्राफ्ट पेपर्स फाइल कर सकती है। ET की पिछली रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रो IPO के जरिए 700 मिलियन डॉलर (करीब ₹5,800 करोड़) जुटाने की योजना बना रहा है। IPO से पहले ग्रो ने अपना डोमिसाइल अमेरिका से भारत शिफ्ट कर लिया है। ये कदम उसने पिछले साल नवंबर में उठाया था।
जेरोधा और एंजल वन से सीधी टक्कर
ग्रो का सीधा मुकाबला जेरोधा (Zerodha) और एंजल वन (Angel One) से है। एनएसई के डेटा के अनुसार, फरवरी में ग्रो के 1.3 करोड़ एक्टिव क्लाइंट्स थे, जबकि झेरोदा के 80 लाख और एंजल वन के 77 लाख। हालांकि, पिछले महीने ग्रो के एक्टिव ट्रेडर्स में 2 लाख से ज्यादा की गिरावट आई है, जो पिछले दो साल में पहली बार हुआ है।
फाइनेंशियल हेल्थ: FY24 में ग्रो का रेवेन्यू ₹3,145 करोड़ रहा, लेकिन अमेरिकी अथॉरिटीज को टैक्स भरने में ₹805 करोड़ का नुकसान हुआ। ये नुकसान अमेरिका से भारत शिफ्ट होने (रिवर्स फ्लिप) की वजह से हुआ।
सेबी का डंडा: सेबी के फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग पर सख्ती से ब्रोकरेज कंपनियों की कमाई घटी है, क्योंकि इनका 70% से ज्यादा रेवेन्यू एफएंडओ ट्रेड्स से आता है। जेरोधा के सीईओ नितिन कामथ ने पहले ही कहा था कि इससे इंडस्ट्री के ऑर्डर वॉल्यूम में 30% तक की गिरावट आ सकती है।