ITR filing last date extended from 31 July 2025 check new ITR filing deadline टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत, अब इस तारीख तक भर सकेंगे ITR, बढ़ा दी गई डेडलाइन, Business Hindi News - Hindustan
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टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत, अब इस तारीख तक भर सकेंगे ITR, बढ़ा दी गई डेडलाइन

आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (AY 2025-26) के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर, 2025 कर दी है। आयकर रिटर्न फॉर्म की अधिसूचना जारी करने में देरी के बाद यह निर्णय लिया गया।

Varsha Pathak लाइव हिन्दुस्तानTue, 27 May 2025 05:13 PM
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टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत, अब इस तारीख तक भर सकेंगे ITR, बढ़ा दी गई डेडलाइन

ITR filing Deadline: टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत भरी खबर है। आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (AY 2025-26) के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर, 2025 कर दी है। आयकर रिटर्न फॉर्म की अधिसूचना जारी करने में देरी के बाद यह निर्णय लिया गया। आयकर विभाग ने एक्स (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर एक पोस्ट के जरिए इसकी घोषणा की।

क्या कहा गया है

पोस्ट के अनुसार, "टैक्सपेयर्स कृपया का ध्यान दें! CBDT ने ITR दाखिल करने की तय तिथि को आगे बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 करने का फैसला किया है। इससे पहले यह 31 जुलाई 2025 तक दाखिल की जानी थी। यह एक्सटेंड ITR फॉर्म, सिस्टम डेवलपमेंट की जरूरतों और TDS क्रेडिट रिफ्लेक्शन में महत्वपूर्ण संशोधनों के कारण अधिक समय प्राेवाइड करेगा। यह सभी के लिए एक सहज और अधिक सटीक फाइलिंग अनुभव सुनिश्चित करता है। औपचारिक अधिसूचना बाद में दी जाएगी।"

बता दें कि 31 जुलाई, 2025 की ITR फाइलिंग, टैक्सपेयर्स की अधिकांश सामान्य कैटेगरीज पर लागू होती है। इसमें अधिकांश वेतनभोगी कर्मचारी और वे सभी टैक्सपेयर्स शामिल हैं जिनके खातों का ऑडिट करने की आवश्यकता नहीं है। वेतनभोगी कर्मचारी को अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए 46 दिन अतिरिक्त मिलेंगे। यदि अंतिम तिथि तक ITR दाखिल नहीं किया जाता है तो 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

क्यों बढ़ाई गई डेडलाइन

सीबीडीटी के अनुसार, "वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अधिसूचित आईटीआर में स्ट्रक्चरल और कंटेंट मोडिफिकेशन किए गए हैं, जिसका उद्देश्य अनुपालन को सरल बनाना, पारदर्शिता बढ़ाना और सटीक रिपोर्टिंग को सक्षम बनाना है। इन परिवर्तनों के कारण सिस्टम विकास, इंटीग्रेशन और संबंधित उपयोगिताओं के परीक्षण के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है।

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