राजनीति से प्रेरित हैं शिकायतें…सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी बुच को लोकपाल की क्लीन चिट
लोकपाल ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आधार पर कथित भ्रष्टाचार के आरोपों में सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच को क्लीच चिट दी। लोकपाल ने कहा कि आरोप निराधार, अप्रमाणित और काफी हद तक निरर्थक हैं।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, लोकपाल ने माधबी पुरी बुच के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार की शिकायतों का निपटारा करते हुए कहा कि किसी भी गलत काम का कोई सबूत नहीं है। इसके साथ ही लोकपाल ने बताया कि बुच के खिलाफ शिकायतें पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित थीं।
क्या है आदेश में
न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इन शिकायतों की विषय-वस्तु एक समान थी और इन शिकायतों के लिए मुख्य स्रोत सामग्री 10 अगस्त, 2024 को हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लिखित एक रिपोर्ट पर आधारित थी। मामले पर निर्णय लेते समय लोकपाल ने बुच के खिलाफ लगाए गए पांच मुख्य आरोपों की जांच की।
-आरोप था कि बुच और उनके पति धवल बुच ने अडानी समूह में निवेश से जुड़े एक फंड में बड़ी रकम निवेश की। आरोप के मुताबिक वहीं, M&M और ब्लैकस्टोन इंक जैसी संस्थाओं से परामर्श सेवा शुल्क की आड़ में लेन-देन किया गया। किराये की आय की आड़ में वॉकहार्ट से लेन-देन के भी आरोप लगे। इसके अलावा 2017 से 2024 के बीच पांच साल की अवधि में ICICI बैंक के ESOP बेचकर अनुचित लाभ लेने के भी आरोप थे। एम एंड एम और ब्लैकस्टोन इंक से संबंधित मामलों से अलग होने का दिखावा के भी आरोप लगे।
हाईकोर्ट से भी मिली थी राहत
बीते अप्रैल महीने में माधबी पुरी बुच को बंबई हाईकोर्ट ने भी राहत दी थी। कोर्ट ने शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और विनियामक उल्लंघन के लिए प्राथमिकी दर्ज करने के विशेष अदालत के आदेश पर अंतरिम रोक की अवधि बढ़ा दी थी। इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा था कि आदेश में आरोपी की कोई विशेष भूमिका नहीं बताई गई थी।