मिडिल क्लास को मिलेगा बड़ा तोहफा! लगातार बड़ी राहत देने की तैयारी, 6 जून को होगा ऐलान
RBI monetary policy 2025: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी अगली मौद्रिक नीति बैठक (MPC) में लगातार तीसरी बार ब्याज दर घटा सकता है।

RBI monetary policy 2025: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी अगली मौद्रिक नीति बैठक (MPC) में लगातार तीसरी बार ब्याज दर घटा सकता है। रॉयटर्स के मुताबिक, कमजोर अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए सेंट्रल बैंक 6 जून को रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है, जिससे यह 5.75% हो जाएगारॉयटर्स के अर्थशास्त्रियों के सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक 6 जून को तीसरी बैठक में रेपो रेट में कटौती का ऐलान हो सकता है और यह 5.75% पर रह सकता है। 19-28 मई को हुए एक रॉयटर्स पोल में 61 में से 53 अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया कि आरबीआई अपनी 4-6 जून की बैठक के समापन पर रेपो दर को घटाकर 5.75% कर देगा।
आम लोगों पर असर
बता दें कि वर्तमान में रेपो रेट 6.00% है। आरबीआई ने इस साल 2025 में हाल ही में अपनी दूसरी बैठक में दूसरी बार रेपो दर को 25 बीपीएस से घटाकर 6.25% से 6% करने का फैसला किया था। पहली बार 7 फरवरी 2025 को रेपो दर 6.50% से बदलकर 6.25% की गई थी। अब तक रिवर्स रेपो दर 3.35% है। बता दें कि आरबीआई के इस कदम का सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। बता दें कि रेपो रेट घटने से आम लोगों होम लोन से लेकर कार लोन समेत अन्य लोन लेना सस्ता पड़ेगा।
क्या है डिटेल
एक अलग रॉयटर्स सर्वेक्षण में पाया गया कि भारतीय शेयर बाजार के ऊंचे मूल्यांकन के बारे में चिंताओं के बावजूद 2025 के अंत तक एक नए उच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। यह आंशिक रूप से अर्थव्यवस्था पर अपेक्षाकृत आशावादी दृष्टिकोण को दर्शाता है। सर्वेक्षण में यह भी दिखाया गया कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि इस वित्तीय वर्ष में औसतन 6.3% और अगले वर्ष 6.5% रहने की उम्मीद है। यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान ने कहा कि फरवरी में दरों में कटौती से बैंकों द्वारा उधार दरों में बहुत अधिक ढील नहीं मिली क्योंकि तरलता कम थी। रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई के पास ब्याज दरों में कटौती की पर्याप्त गुंजाइश है। महंगाई के आंकड़े सेंट्रल बैंक के 4.0% के लक्ष्य से नीचे रहे हैं। इसके अलावा आर्थिक वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष में 9% से घटकर वित्त वर्ष 24 में 6.3% पर आ गई है। ये आंकड़े साफ तौर पर बताते हैं कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आरबीआई को हस्तक्षेप करने की जरूरत है