LPG सिलेंडर के दाम बढ़ाने के पीछे ये हैं राज, क्या है सब्सिडी का हाल
- LPG Price Review: अप्रैल में सरकार ने 14.2 किलो वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत ₹50 बढ़ा दी। यह बढ़ोतरी लगभग एक साल बाद हुई है। अब उत्पादन और सप्लाई चेन में सुधार के बिना कीमतों पर नियंत्रण मुश्किल है।

LPG Price Review: अप्रैल में सरकार ने 14.2 किलो वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत ₹50 बढ़ा दी। यह बढ़ोतरी लगभग एक साल बाद हुई है। अब दिल्ली में सिलेंडर ₹853 और कोलकाता में ₹879 तक पहुंच गया है। एलपीजी अब आम जनता की बुनियादी जरूरत बन चुका है, लेकिन उत्पादन और सप्लाई चेन में सुधार के बिना कीमतों पर नियंत्रण मुश्किल है। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती मांग और आयात पर निर्भरता के बीच संतुलन बनाना है।
32.9 करोड़ एलपीजी कनेक्शन
मिंट की खबर के मुताबिक 2015 में भारत में एलपीजी कनेक्शन 14.9 करोड़ थे, जो 2025 तक बढ़कर 32.9 करोड़ हो गए। यानी हर 4 लोगों के परिवार के पास एक कनेक्शन है, लेकिन घरेलू उत्पादन पिछले 8 साल से 12-13 लाख टन के आसपास ही अटका है। 2024-25 में 28.6 लाख टन खपत के मुकाबले सिर्फ 11.7 लाख टन ही उत्पादन हुआ। इस नतीजा यह है कि 10 साल में एलपीजी का आयात 20% बढ़ गया। अब घरेलू कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर हैं।
चुनावों के दौरान कीमतों पर लगा था ब्रेक : 024 के आम चुनाव से पहले और बाद में, अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ने के बावजूद घरेलू दाम नहीं बढ़ाए गए। अब यह बढ़ोतरी उसी का नतीजा है।
सरकारी योजनाओं का असर
उज्ज्वला योजना ने बढ़ाए कनेक्शन: 32.9 करोड़ कनेक्शन में से 10.33 करोड़ उज्ज्वला योजना के तहत हैं, जहां गरीबों को सिलेंडर ₹300 कम में मिलता है। दक्षिण के राज्यों (जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश) में पहले से ही स्टेट स्कीम्स चलने की वजह से यहां सिर्फ 10% उज्ज्वला योजना के लाभार्थी हैं।
सब्सिडी का हाल: 2025-26 के बजट में सरकार ने एलपीजी सब्सिडी के लिए ₹11,100 करोड़ रखे हैं। पिछले साल (2022-23) में तेल कंपनियों को ₹22,000 करोड़ दिए गए थे, क्योंकि वे सिलेंडर घाटे में बेच रही थीं।
आगे की क्या है चुनौती
घरेलू उत्पादन बढ़ाना मुश्किल: रिफाइनरियां पेट्रोल-डीजल बनाने के लिए अधिक इंट्रेस्टेड हैं, जबकि एलपीजी उत्पादन कम कर रही हैं। अमेरिका से सस्ता एलपीजी आयात होने की वजह से कंपनियों को घरेलू उत्पादन बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं।
डिस्ट्रीब्यूटर्स की कमी: 2015 से 2020 के बीच डिस्ट्रीब्यूटर्स की संख्या 15,930 से बढ़कर 24,670 हुई, लेकिन पिछले 5 साल में सिर्फ 1,000 ही जुड़े।