टूटा है दिल तो DU की क्लास लगाएगी मरहम, नया कोर्स सिखाएगा इश्क, ब्रेकअप और रिश्तों का गणित
दिल्ली यूनिवर्सिटी अब इश्क-मोहब्बत और रिश्तों के उतार-चढ़ाव को क्लासरूम में लाएगा, जहां जेन-जी छात्र ब्रेकअप, जलन और रेड फ्लैग्स को पहचानना सीखेंगे।

दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) ने बदलते जमाने के साथ एक बेहद दिलचस्प और जरूरी कोर्स पेश करने का फैसला किया है। इस कोर्स का नाम है Negotiating Intimate Relationships रखा गया है। यह कोर्स आने वाले शैक्षणिक सत्र 2025-26 से शुरू होगा और सभी विषयों के छात्र इसे एक जनरल इलेक्टिव के रूप में पढ़ सकेंगे। इसका मकसद नौजवानों को इश्क, दोस्ती, जलन, ब्रेकअप और भावनात्मक उलझनों से निपटना सिखाना है। इस कोर्स को यूनिवर्सिटी का मनोविज्ञान विभाग चलाएगा।
यह फैसला ऐसे वक्त में लिया गया है जब सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स की वजह से रिश्ते पहले से कहीं ज्यादा उलझे और खतरनाक हो गए हैं। हाल के कुछ महीनों में दिल्ली में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जहां गुस्से और जलन जैसी भावनाएं इस कदर हावी हो गईं कि जान तक ले ली। 19 साल की विजयलक्ष्मी, 18 साल की महक और 21 साल की कोमल इनकी शिकार हुईं। उनके प्रेमियों ने उन्हें इसलिए मार डाला क्योंकि वे अपने रिश्तों में संतुलन नहीं बना पाए। इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि अब प्यार और रिश्तों को समझना सिर्फ निजी बात नहीं रही, बल्कि यह समाज के लिए भी एक जरूरी सीख बन गई है।
DU में कैसे पढ़ाया जाएगा यह कोर्स
कोर्स चार यूनिट में बंटा है। शुरुआत होगी दोस्ती और नजदीकी रिश्तों की मनोवैज्ञानिक समझ से होगी। फिर आएगा प्यार को समझने का पाठ जिसमें स्टर्नबर्ग की त्रिकोणीय प्रेम सिद्धांत और अन्य थ्योरीज पढ़ाई जाएंगी। तीसरी यूनिट सबसे अहम है, इसमें यह बताएगी कि कब रिश्ता बिगड़ने लगा है। जलन, धोखा, ब्रेकअप और हिंसा जैसी चीजों को शुरू में ही पहचानने की कला सिखाई जाएगी। आखिरी यूनिट में छात्रों को स्वस्थ, सहयोगी और खुशहाल रिश्ते बनाने की तकनीकें सिखाई जाएंगी।
कबीर सिंह और टाइटैनिक फिल्म से भी ली जाएगी सीख
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्स सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहेगा। इसमें छात्र सोशल मीडिया नेटवर्क्स का विश्लेषण करेंगे, आत्ममूल्यांकन करेंगे, और पॉप कल्चर पर चर्चा भी होगी। कबीर सिंह और टाइटैनिक जैसी फिल्मों के जरिए ये समझाया जाएगा कि कैसे बॉलीवुड ने कभी-कभी जहरीले प्यार को रोमांस बना कर दिखाया। डीयू की प्रोफेसर लतिका गुप्ता कहती हैं, "ना तो कोई रिजेक्शन झेलना सिखाता है, ना ही बॉर्डर सेट करना। यही वजह है कि कई बार मामूली बातें जानलेवा बन जाती हैं। अगर इमोशनल एजुकेशन स्कूल-कॉलेज में मिले, तो बहुत सी त्रासदियां टाली जा सकती हैं।"