NEET PG : नीट पीजी परीक्षा दो शिफ्ट में कराने के फैसले पर भड़के MBBS डॉक्टर, विरोध में दिये ये तर्क
- NEET PG 2025 : नीट पीजी 2025 परीक्षा दो शिफ्टों में कराए जाने के फैसले पर देश भर के डॉक्टरों और एमबीबीएस छात्रों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है।

NEET PG 2025 : नीट पीजी 2025 परीक्षा दो शिफ्टों में कराए जाने के फैसले पर देश भर के डॉक्टरों और एमबीबीएस छात्रों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा है कि नीट पीजी परीक्षा दो शिफ्टों में कराने से नॉर्मलाइजेशन लागू होगा जिससे इसकी पारदर्शिता प्रभावित होगी। डॉक्टर एसोसिएशन एफएआईएमए (FAIMA) और देशभर के मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) ने इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि परीक्षा एक ही शिफ्ट में होनी चाहिए ताकि निष्पक्षता बनी रहे और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या धांधली की संभावना न रहे।
आपको बता दें कि नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (एनबीईएमएस) ने नीट पीजी परीक्षा 15 जून को दो शिफ्टों में कराने का फैसला किया है। यह दूसरी बार है जब बोर्ड दो शिफ्टों में नीट पीजी परीक्षा आयोजित कर रहा है। 2024 में बोर्ड ने 2,28,540 उम्मीदवारों के लिए 170 शहरों के 416 केंद्रों पर सुबह 9 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और दोपहर 3:30 बजे से शाम 7 बजे तक दो शिफ्टों में परीक्षा आयोजित की। बोर्ड ने अभी तक नीट पीजी 2025 के लिए विस्तृत सूचना बुलेटिन जारी नहीं किया है। पिछले साल यह बुलेटिन परीक्षा से ठीक एक दिन पहले जारी किया गया था।
जयपुर के नीट पीजी अभ्यर्थी भारत राठौर ने कहा, 'इस परीक्षा को दो शिफ्ट में आयोजित करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस परीक्षा में 3 लाख छात्र भी नहीं बैठ रहे हैं, जबकि नीट यूजी में 15 लाख से अधिक छात्र केवल एक शिफ्ट में परीक्षा देते हैं। मैं पहली बार नीट यूजी परीक्षा में शामिल हो रहा हूं, और मैं उस शिफ्ट के कठिनाई स्तर को लेकर चिंतित हूं जिसमें मैं परीक्षा दे रहा हूं।' 800 अंकों की नीट पीजी परीक्षा में, एमबीबीएस डिग्री वाले उम्मीदवारों को 3 घंटे और 30 मिनट में ऑनलाइन मोड में 200 बहुविकल्पीय प्रश्न हल करने होते हैं। उम्मीदवारों को प्रत्येक सही उत्तर के लिए 4 अंक मिलते हैं और गलत उत्तर होने पर 1 अंक काटा जाता है।
इस सार फिर से नीट पीजी परीक्षा देने की तैयारी कर रहे सम्यक बंसल ने कहा, 'मैंने नीट पीजी 2024 की दूसरी शिफ्ट में बैठकर 470 अंक प्राप्त किए। नॉर्मलाइजेशन के बाद मुझे 76 पर्सेंटाइल और 51000 रैंक मिली। पहली शिफ्ट में पेपर आसान था, लेकिन दूसरी शिफ्ट में मुश्किल था। पहली शिफ्ट में समान अंक पाने वाले कई लोगों की रैंक मुझसे बेहतर थी।' उन्होंने कहा, 'दो शिफ्ट में नीट पीजी आयोजित करना गैरजरूरी है क्योंकि यह सभी छात्रों के लिए समान अवसर प्रदान नहीं करता है। छात्रों के एक वर्ग को एक शिफ्ट में आसान पेपर मिलता है और दूसरे को अगली शिफ्ट में कठिन पेपर मिलता है। नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया पर भी कोई स्पष्टता नहीं है जिसका इस्तेमाल दाखिले के लिए परसेंटाइल और रैंक में किया जाता है।'
नीट पीजी 2024 में NBEMS ने एम्स नॉर्मलाइजेशन मेथड को लागू किया, जिसमें प्रत्येक शिफ्ट में उच्चतम स्कोर को 100वें पर्सेंटाइल में स्केल किया जाता है और पर्सेंटाइल स्कोर की गणना सात दशमलव स्थानों तक सटीकता के साथ की जाती है ताकि टाई को कम किया जा सके।
डॉक्टरों के संगठनों ने भी एनबीईएमएस को एक ही शिफ्ट में परीक्षा कराने के लिए पत्र लिखा है। एनबीईएमएस को लिखे पत्र में एफएआईएमए ने कहा, 'अंकों का नॉर्मलाइजेशन विसंगतियों और पूर्वाग्रहों से जुड़ा रहा है। विभिन् शिफ्टों में अलग-अलग प्रश्नपत्र स्वाभाविक रूप से कठिनाई के स्तर में भिन्नता लाते हैं जिससे वास्तव में निष्पक्ष नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया सेट करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इससे उम्मीदवारों को उनकी तय शिफ्ट के आधार पर अनुचित लाभ या हानि हो सकती है। इससे परीक्षा परिणामों की विश्वसनीयता से समझौता होता है। एक ही शिफ्ट में परीक्षा कठिनाई के स्तर में एकरूपता सुनिश्चित करती है, नॉर्मलाइजेशन की आवश्यकता को समाप्त करती है और चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखती है।'
यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (यूडीएफ) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखकर कहा है कि एक शिफ्ट की परीक्षा यह सुनिश्चित करती है कि सभी अभ्यर्थी समान परिस्थितियों में समान प्रश्नों के उत्तर दें, जिससे नॉर्मलाइजेशन की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और इससे संभावित विवाद पैदा नहीं होते।'
विरोध में डॉक्टर अभ्यर्थियों के तर्क
- जब 20 लाख स्टूडेंट्स नीट यूजी एक बार में देते हैं तो नीट पीजी के 2 लाख छात्र क्यों नहीं एक बार में एग्जाम दे सकते।
- नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया अस्पष्ट रहती है। इस पर यकीन नहीं जा सकता। इससे निकला स्कोर अस्पष्ट रहता है।
- दो शिफ्टों में एग्जाम होने ने और नॉर्मलाइजेशन लागू होने से परीक्षा प्रक्रिया कानूनी पचड़ों में पड़ सकती है जिससे काउंसलिंग व दाखिला प्रकिया में देरी हो सकती है।
- पिछले साल दो शिफ्टों में एग्जाम कराने से काफी दिक्कत हुई थी। काउंसलिंग व दाखिले काफी लेट हो गए थे। पिछले साल वाली गलती क्यों दोहराई जाए।