UPSC IAS : यूपीएससी में SC, ST वालों को असीमित अवसर क्यों, कोर्ट ने ये तर्क देकर खारिज की याचिका
- कोर्ट ने यूपीएससी सीएसई परीक्षा के एक दिव्यांग अभ्यर्थी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि SC ST संविधान द्वारा तय की गई एक अलग कैटेगरी है और इसके लिए निर्धारित आरक्षण नियमों को मनमाना नहीं कहा जा सकता है।

बंबई उच्च न्यायालय ने सिविल सेवा परीक्षा के एक दिव्यांग अभ्यर्थी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) संविधान द्वारा तय की गई एक अलग कैटेगरी है और इसके लिए निर्धारित आरक्षण नियमों को मनमाना नहीं कहा जा सकता है। उच्च न्यायालय ने 38 वर्षीय मुंबई निवासी धर्मेंद्र कुमार द्वारा दायर उस याचिका को चार फरवरी को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति श्रेणी के उम्मीदवारों को असीमित संख्या में प्रयासों की अनुमति देने वाले सिविल सेवा परीक्षा नियमों को चुनौती दी थी।
कुमार 9 बार सिविल सेवा परीक्षा में असफल रहे हैं। नियमों के अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 'बेंचमार्क दिव्यांगता' वाले उम्मीदवारों को परीक्षा में 9 अवसर देने की अनुमति है, जबकि इस तरह के सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को केवल छह प्रयास करने की अनुमति है। लेकिन ओबीसी वर्ग के कुमार ने अपनी याचिका में दावा किया था कि ये नियम पक्षपातपूर्ण हैं।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की खंडपीठ ने चार फरवरी को अपने फैसले में (जिसकी एक प्रति बुधवार को उपलब्ध कराई गई) याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि चुनौती देने का कोई वैध आधार नहीं है। अदालत ने कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति ओबीसी से अलग वर्ग है और इसलिए उनके लिए अलग मानदंड निर्धारित किए गए हैं और ऐसे मानदंडों को मनमाना नहीं कहा जा सकता। उच्च न्यायालय ने कहा, 'दिव्यांग श्रेणी का यदि कोई उम्मीदवार एससी/एसटी वर्ग से संबंधित है, तो वह किसी अन्य श्रेणी से संबंधित उम्मीदवार की तुलना में अलग पायदान पर खड़ा होगा।'
याचिकाकर्ता की दलील थी कि दिव्यांग व्यक्तियों के वर्ग को एक अलग श्रेणी के रूप में माना जाना चाहिए भले ही वह एससी/एसटी या ओबीसी हों, और उन्हें समान अवसर मिलने चाहिए जितने कि एससी/एसटी वर्ग के उम्मीदवार को मिलते हैं। लेकिन अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की इस दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
क्या है अटेम्प्ट का नियम
सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को 32 वर्ष की आयु सीमा के साथ कुल 6 प्रयास मिलते हैं। वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को 35 वर्ष की आयु तक 9 प्रयास मिलते हैं। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के उम्मीदवारों को 37 वर्ष की आयु तक असीमित संख्या में प्रयास मिलते हैं
यूपीएससी सिविल सेवा के चरण - प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू। इन तीन चरणों से इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज (आईएएस), भारतीय पुलिस सर्विसेज (आईपीएस) और भारतीय फॉरेन सर्विसेज (आईएफएस), रेलवे ग्रुप ए (इंडियन रेलवे अकाउंट्स सर्विस), इंडियन पोस्टल सर्विसेज, भारतीय डाक सेवा, इंडियन ट्रेड सर्विसेज सहित अन्य सेवाओं के लिए अधिकारियों का चयन किया जाता है।