नक्सल विरोधी अभियानों के बीच शांति की गुहार, CPI माओवादी ने की युद्ध विराम की अपील, क्या शर्तें
नक्सलियों में दहशत का माहौल है। सुरक्षा बलों के नक्सल विरोधी अभियानों के बीच सीपीआई (माओवादी) ने एक बयान जारी कर केंद्र सरकार से शांति वार्ता शुरू करने और 'ऑपरेशन कगार' को रोकने की अपील की है।

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ जारी अभियान अब रंग ला रहा है। आलम यह है कि बड़ी संख्या में नक्सली सरेंडर कर रहे हैं। इस बीच ताजा डेवलपमेंड यह है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति ने एक बयान जारी कर केंद्र सरकार से शांति वार्ता शुरू करने और 'ऑपरेशन कगार' को रोकने का आग्रह किया है। बता दें कि 'ऑपरेशन कगार' नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का नाम है।
इससे पहले मई 2022 में भी छत्तीसगढ़ में सीपीआई (माओवादी) ने हिंसा को समाप्त करने के लिए बातचीत करने के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पेशकश का जवाब दिया था। नक्सलियों ने तब कहा था कि वे भी बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन सरकार को पहले उनके जेल में बंद नेताओं को रिहा करना होगा। नक्सलियों की ओर से यह भी शर्त रखी गई थी कि बस्तर क्षेत्र में तैनात सुरक्षा बलों को वापस बुलाया जाना चाहिए।
सीपीआई (माओवादी) के प्रवक्ता अभय की ओर से 2 अप्रैल 2025 को कथित तौर पर जारी बयान में बातचीत का रास्ता साफ करने के लिए दोनों पक्षों से बिना शर्त युद्ध विराम की मांग की गई है। सीपीआई (माओवादी) ने अपने बयान में मध्य भारत में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने का आह्वान किया है और लंबित मुद्दों को हल करने के लिए बातचीत की जरूरत बताई है।
सीपीआई (माओवादी) का कहना है कि केंद्र सरकार को शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने की खातिर नक्सलियों के साथ मिलकर तत्काल युद्ध विराम के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। नक्सिलयों का दावा है कि सुरक्षा बलों के अभियान के कारण उनके 400 से अधिक नेता, कार्यकर्ता और आदिवासी नागरिक मारे गए हैं। नक्सलियों की पहली मांग यह है की कि जनजातीय क्षेत्रों से सुरक्षा बलों को तत्काल हटाया जाए।
नक्सलियों की दूसरी मांग यह कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सैनिकों की तैनाती रोकी जाए। तीसरी मांग यह कि 'ऑपरेशन कगार' जैसे अभियानों को पूरी तरह रोका जाए। सीपीआई (माओवादी) ने सरकार पर जनजातीय समुदायों के खिलाफ 'नरसंहार युद्ध' छेड़ने का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि अभियानों का मकसद क्रांतिकारी आंदोलनों को दबाना है।
सीपीआई (माओवादी) का कहना है कि नागरिक क्षेत्रों में सैन्य बलों का इस्तेमाल असंवैधानिक है। यह मानवाधिकार सिद्धांतों के खिलाफ है। बयान में बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार संगठनों, पत्रकारों, छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं से सरकार पर शांति वार्ता में शामिल होने के लिए दबाव बनाने की भी अपील की है। सीपीआई (माओवादी) ने कहा है कि यदि सरकार अभियान रोकती है तो वे तुरंत युद्ध विराम की घोषणा कर देंगे। यदि शर्तें मानी जाती हैं तो समाधान संभव है।
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