साय सरकार ने शहीद पुलिसवालों के परिजनों को दी बड़ी राहत, अनुकंपा नियुक्ति के लिए नियमों में किया बदलाव
महिला स्व-सहायता समूहों के ‘जशप्योर’ ब्रांड को राज्य शासन अथवा CSIDC को हस्तांतरित किया जाएगा, ताकि इनके द्वारा तैयार किए जा रहे हर्बल और महुआ चाय जैसे पारंपरिक उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराते हुए विपणन को बढ़ावा दिया जा सके।

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में नक्सल हिंसा में मारे गए पुलिसकर्मियों के परिजनों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति देने के नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी। यह फैसला मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में राजधानी रायपुर में बुधवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। इस बैठक में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने और बाघों के संरक्षण तथा ईको-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। इसके अलावा इस बैठक में प्रदेश में लघु खनिजों की खोज के लिए SMET की स्थापना करने और 'जशप्योर' ब्रांड को राज्य सरकार या छत्तीसगढ राज्य औद्योगिक विकास निगम को ट्रांसफर करने को भी मंजूरी दी गई।
अनुकंपा नियुक्ति को लेकर सरकार की तरफ से जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, 'शहीद पुलिसकर्मियों के सर्वोच्च बलिदान को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए जारी एकीकृत पुनरीक्षित निर्देश-2013 के नियम 13(3) में संशोधन करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत नक्सली हिंसा में शहीद पुलिसकर्मियों के मामले में उनके परिवार के किसी भी पात्र सदस्य (पुरुष या महिला) को विकल्प के आधार पर राज्य के किसी भी जिले या संभाग में पुलिस विभाग के अलावा किसी अन्य विभाग में अनुकंपा नियुक्ति दी जा सकेगी।'
बता दें कि नियम में संशोधन से पहले तक अनुकंपा नियुक्ति जहां तक संभव हो उसी विभाग या कार्यालय में देने की व्यवस्था थी, जिसमें दिवंगत सरकारी कर्मचारी अपनी मृत्यु से पहले कार्यरत था। यह बदलाव सुकमा जिले के कोंटा संभाग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आकाश राव गिरेपुंजे की 9 जून को नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी विस्फोट में मौत के बाद हुआ है।
इसके अलावा इस बैठक में मंत्रिमंडल ने डिहारी कोरवा, बघेल क्षत्रिय, संसारी उरांव और पबिया, पविया, पविआ समुदायों के विद्यार्थियों को अनुसूचित जनजातियों के समान तथा डोमरा जाति के विद्यार्थियों को अनुसूचित जाति के समान राज्य कोष से छात्रवृत्ति और वजीफा देने का भी निर्णय लिया। इन समुदायों के विद्यार्थी अबतक इन सुविधाओं से वंचित थे, क्योंकि कुछ तकनीकी कारणों से उन्हें अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल नहीं किया गया था। सरकार द्वारा किए गए बदलाव के बाद इन समुदायों के विद्यार्थियों को अब स्वीकृत सीटों के आधार पर छात्रावास-आश्रम (आवासीय विद्यालय) में प्रवेश की सुविधा भी मिलने लगेगी।
मंत्रिमंडल ने छत्तीसगढ़ में लघु खनिजों की व्यवस्थित खोज, पूर्वेक्षण और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 'राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट' (SMET) की स्थापना के लिए मसौदा अधिसूचना को भी मंजूरी दी।
इसके अलावा मंत्रिमंडल ने जशपुर जिले (मुख्यमंत्री का गृह जिला) में 'जशप्योर' ब्रांड नाम से हर्बल और महुआ चाय जैसे पारंपरिक उत्पादों का उत्पादन कर रहे महिला स्व-सहायता समूह के उत्पादों के लिए व्यापक बाजार उपलब्ध कराने और विपणन को बढ़ावा देने के लिए इस ब्रांड को राज्य सरकार या CSIDC (छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम) को हस्तांतरित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। ब्रांड हस्तांतरण से कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय कच्चे माल की मांग बढ़ेगी और आदिवासी महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे। ट्रेडमार्क हस्तांतरण से राज्य पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।
मंत्रिमंडल की यह बैठक मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में राजधानी रायपुर के सिविल लाइन स्थित उनके निवास कार्यालय में आयोजित की गई। मंत्रिपरिषद ने राज्य में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने और बिजली उपभोक्ताओं को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना अंतर्गत घर की छतों में सोलर रूफटॉप संयंत्र की स्थापना में राज्य शासन द्वारा उपभोक्ताओं को वित्तीय सहायता दिए जाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया।
छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (सीएसपीडीसीएल) के माध्यम से पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत घरेलू उपभोक्ताओं के घरों पर सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाने पर केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ-साथ राज्य की ओर से अतिरिक्त वित्तीय सहायता भी दी जाएगी, जो सोलर प्लांट की क्षमता (एक किलोवाट, दो किलोवाट, तीन किलोवाट और उससे अधिक) के आधार पर अलग-अलग होगी।
(वार्ता इनपुट के साथ)
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