जिंदा रहे पटौदी की विरासत…तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी को लेकर सचिन का BCCI और ECB से खास अनुरोध
सचिन तेंदुलकर ने बीसीसीआई और ईसीबी से अनुरोध किया है कि इंग्लैंड में खेली जाने वाली भारत की टेस्ट सीरीज को पटौदी परिवार की विरासत से जोड़ना चाहिए। इस तरह पटौदी पदक किसी को दिया जा सकता है।

क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई से एक अनुरोध किया है। सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि इंग्लैंड में जो टेस्ट सीरीज भारतीय टीम खेलती है, उसका नाम पटौदी की विरासत से जुड़ा रहना चाहिए। बीसीसीआई और इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड यानी ईसीबी ने मिलकर इस सीरीज को तेंदुलकर-एंडरसन सीरीज करने का फैसला किया है, लेकिन सचिन तेंदुलकर चाहते हैं कि किसी भी तरह से पटौदी की विरासत को जीवित रखा जाए।
पटौदी ट्रॉफी नाम की यह सीरीज उस महान खिलाड़ी के सम्मान में आयोजित की जाती रही है, जो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत और इंग्लैंड दोनों का प्रतिनिधित्व करने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं। हालांकि, बीसीसीआई और ईसीबी ने जेम्स एंडरसन और तेंदुलकर के सम्मान में सीरीज का नाम बदलकर तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी रखने का फैसला किया और पटौदी ट्रॉफी नाम को हटाने का फैसला किया गया। उन्होंने पटौदी परिवार को भी औपचारिकताओं के बारे में सूचित कर दिया था। हालांकि, इस फैसले से पटौदी परिवार खुश नहीं था।
हालांकि, अब इसमें नया घटनाक्रम यह है कि सचिन तेंदुलकर ने बीसीसीआई से भविष्य में भारत-इंग्लैंड सीरीज में भी पटौदी की विरासत को जारी रखने का अनुरोध किया है। क्रिकबज के अनुसार, 52 वर्षीय तेंदुलकर ने इस मामले में बीसीसीआई और ईसीबी के वरिष्ठ अधिकारियों से बात की है। इतना ही नहीं, इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सचिन तेंदुलकर की बात से दोनों बोर्ड सहमत हो गए हैं। आईसीसी के मौजूदा अध्यक्ष और बीसीसीआई के पूर्व सचिव जय शाह ने भी यह सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभाई कि तेंदुलकर का अनुरोध पूरा हो।
ट्रॉफी नामकरण समारोह 14 जून को लॉर्ड्स में WTC फाइनल के दौरान आयोजित होना था, लेकिन अहमदाबाद विमान दुर्घटना के पीड़ितों के सम्मान में उस प्रोग्राम को रद्द कर दिया गया। वहीं, अब ईसीबी के एक अधिकारी ने पटौदी विरासत के बारे में पुष्टि की है, लेकिन ज्यादा जानकारी शेयर नहीं की। ऐसी अटकलें हैं कि पटौदी पदक विजेता कप्तान या सीरीज के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को दिया जाएगा। इस तरह पटौदी विरासत जारी रहने वाली है। 2007 से इसकी शुरुआत हुई थी।