CSK को मिल गया ऋतुराज गायकवाड़ का रिप्लेसमेंट? 17 साल के इस खिलाड़ी को मौका देने की तैयारी में धोनी
- मुंबई के सलामी बल्लेबाज आयुष म्हात्रे को चेन्नई सुपर किंग्स ने अपने कप्तान ऋतुराज गायकवाड़ की जगह टीम में शामिल करने की तैयारी में है, जो कोहनी में फ्रैक्चर के कारण आईपीएल 2025 से बाहर हो गए हैं।

मुंबई के सलामी बल्लेबाज आयुष म्हात्रे को चेन्नई सुपर किंग्स ने अपने कप्तान ऋतुराज गायकवाड़ की जगह टीम में शामिल करने की तैयारी में है, जो कोहनी में फ्रैक्चर के कारण आईपीएल 2025 से बाहर हो गए हैं। 17 साल के म्हात्रे को दो हफ्ते पहले नेट्स में उनकी बल्लेबाजी को परखने के लिए सीएसके ने ट्रायल के लिए बुलाया था और गायकवाड़ की चोट के बाद, उन्होंने इस युवा खिलाड़ी को टीम में लाने का फैसला किया है। म्हात्रे ने मुंबई के लिए 9 फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं, जिसमें दो शतक और एक अर्धशतक लगाया है। उन्होंने 7 लिस्ट ए खेलों में भी मुंबई का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें नागालैंड के खिलाफ उनका हाईएस्ट स्कोर 181 और विजय हजारे ट्रॉफी के दौरान सौराष्ट्र के खिलाफ 148 रन है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार वह जल्द ही सीएसके की टीम में शामिल होंगे, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें तुरंत टीम में खेलने का मौका मिलेगा या नहीं।
म्हात्रे ने पिछले साल ईरानी ट्रॉफी में शेष भारत के खिलाफ मुंबई रणजी ट्रॉफी टीम के लिए बतौर ओपनर डेब्यू किया। शहर के कई क्रिकेटरों की तरह, उन्होंने भी कड़ी मेहनत की है। वह सुबह 4:15 बजे उठते थे, विरार से सुबह 5 बजे की ट्रेन पकड़ते थे जिससे वह अपने प्रैक्टिस सेशन के लिए ओवल मैदान पहुंच सके। बता दें, उनका घर मुंबई शहर से 46 किलोमीटर दूर है।
उनकी आक्रामक बल्लेबाजी शैली ने चयनकर्ताओं को उन्हें सीनियर टीम में जल्दी से जल्दी लाने पर मजबूर कर दिया। वह 13 साल के थे जब उनकी स्थानीय टीम विरार-साईनाथ स्पोर्ट्स क्लब ने उन्हें अपनी सीनियर टीम में शामिल करने का फैसला किया, जहां उन्होंने बड़ी आसानी से बड़े खिलाड़ियों का सामना किया।
उनके दादा, जो एक रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी थे, उन्हें प्रतिदिन मुंबई के मैदानों तक छोड़ने आते थे।
म्हात्रे ने एक इंटरव्यू में कहा था, "मैंने 6 साल की उम्र में खेलना शुरू किया था, लेकिन मेरा असली क्रिकेट 10 साल की उम्र में शुरू हुआ। मुझे माटुंगा के डॉन बॉस्को हाई स्कूल में दाखिला मिला और मेरे दादा लक्ष्मीकांत नाइक (नाना) ने मुझे हर दिन वहां ले जाने की जिम्मेदारी ली। इसलिए सुबह मैं माटुंगा में अभ्यास के लिए जाता था, स्कूल जाता था और फिर एक और अभ्यास के लिए चर्चगेट जाता था। मेरा परिवार मेरे दादाजी से कहता था कि मेरी नींद खराब न करें, लेकिन अब उन्हें भी लगता है कि मेरा त्याग रंग ला रहा है।"
उनके पिता योगेश की एक बार नौकरी चली गई थी और आयुष हर चीज के बावजूद उनके समर्थन के लिए आभारी हैं। उन्होंने कहा, “मेरे पिता और मां ने मुझे कभी यह एहसास नहीं होने दिया कि घर में कोई वित्तीय समस्या है। जैसे अगर कोई बल्ला टूट जाता है, तो मैं नया नहीं मांगता। आज भी मेरे पिता मेरे साथ लोकल ट्रेन में यात्रा करते हैं ताकि अगर किसी के साथ कोई मौखिक लड़ाई हो जाए, तो वे उसे संभाल लें, ताकि मैं बल्लेबाजी करते समय किसी भी नकारात्मकता को अपने अंदर न ले लूं।”