Satish Kaushik Wanted to kill himself after roop ki rani choron ka raja flopped bollywood news अनिल-श्रीदेवी की फिल्म हुई फ्लॉप तो डायरेक्टर को आया सुसाइड का ख्याल; 'पहली मंजिल पर खड़े होकर...', Bollywood Hindi News - Hindustan
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अनिल-श्रीदेवी की फिल्म हुई फ्लॉप तो डायरेक्टर को आया सुसाइड का ख्याल; 'पहली मंजिल पर खड़े होकर...'

  • दिवंगत एक्टर सतीश कौशिक एक एक्टर होने के साथ-साथ डायरेक्टर और प्रोड्यूर भी थी। उन्होंने अनिल कपूर की फिल्म रूप की रानी चोरों का राजा डायरेक्ट की थी।

Harshita Pandey लाइव हिन्दुस्तानSun, 13 April 2025 02:17 PM
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अनिल-श्रीदेवी की फिल्म हुई फ्लॉप तो डायरेक्टर को आया सुसाइड का ख्याल; 'पहली मंजिल पर खड़े होकर...'

दिवंगत एक्टर सतीश कौशिक एक बेहतरीन एक्टर थे। उन्होंने अपने करियर में फिल्में डायरेक्ट भी की हैं। हालांकि, उन्होंने जो पहली फिल्म डायरेक्ट की थी वो थी रूप की रानी चोरों का राजा। सतीश कौशिक की ये फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हुई थी। फिल्म के प्रोड्यूसर बोनी कपूर को भारी नुकसान भी झेलना पड़ा था। जब ये फिल्म फ्लॉप हुई तो सतीश कौशिक अपनी जान लेना चाहते थे। आज सतीश कौशिक जन्मदिन के मौके पर हम आपको इस पूरे किस्से के बारे में बता रहे हैं।

जब फ्लॉप हुई रूप की रानी चोरों का राजा

अनिल कपूर और श्रीदेवी की फिल्म रूप की रानी चोरों का राजा साल 1993 में आई थी। विकिपीडिया के मुताबिक इस फिल्म का बजट 9 करोड़ था। सतीश कौशिक से पहले इस फिल्म को शेखर कपूर डायरेक्ट कर रहे थे। वहीं, सतीश कौशिक उन्हें असिस्ट कर रहे थे। शेखर कपूर ने कुछ दूसरे प्रोजक्ट्स की वजह से फिल्म को बीच में ही छोड़ दिया था। इसके बाद बोनी कपूर के कहने पर सतीश कौशिक ने फिल्म को डायरेक्ट किया।

शबाना आजमी ने सुनाया था किस्सा

फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हुई। बोनी कपूर पर कर्जा आ गया। सतीश कौशिक इस बात से काफी निराश थे। एक पुराने इवेंट में शबाना आजमी ने इससे जुड़ा किस्सा सुनाया था। उन्होंने कहा था, "जब फिल्म फेल हो गई तो वो दुखी आत्मा हो गए थे और उन्हें ऐसा लग रहा था कि उन्हें मर जाना चाहिए। वो पहली मंजिल पर थे और उन्होंने वहां से जब नीचे देखा, क्योंकि वो मरने के तरीके खोज रहे थे, नीचे पार्टी चल रही थी। उन्हें दिखा नीचे बैंगन और आलू भूने जा रहे थे। तो वो ऐसे हो गए थे यार मैं आलू-बैंगन के बीच में अगर कूद के मर जाउंगा तो ये खराब मौत होगी।" 

शबाना आजमी ने ये किस्सा उस इवेंट में सुनाया था जो सतीश कौशिक के निधन के बाद उनकी याद में आयोजित किया गया था। शबाना ये किस्सा सुनाते-सुनाते हंस रही थीं, लेकिन उनकी आंखों में अपने दोस्त के जाने का गम नजर आ रहा था।"

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