गुजरात वक्फ घोटाला मामले में ED की बड़ी कार्रवाई, जब्त किए 2.37 करोड़ रुपए; इस तरह हुआ घोटाला
ईडी ने बताया कि आरोपियों ने ट्रस्ट के पैसे और जमीन को हड़प लिया, जो मूल रूप से सामुदायिक कल्याण के लिए थी। आरोपियों ने ट्रस्टीशिप का दावा करने और बोर्ड व नगर निगम दोनों को गुमराह करने के लिए एक जाली हलफनामा प्रस्तुत किया था।

गुजरात वक्फ की कुछ संपत्तियों में कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के बाद ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कुल 2.37 करोड़ रुपए की राशि जब्त कर ली है। ईडी ने 30 लाख रुपए नकद जब्त करने के अलावा क्रिप्टोकरंसी के रूप में 7 लाख रुपए और बैंक फंड के रूप में रखे 2 करोड़ रुपए फ्रीज किए हैं। जांच एजेंसी ने यह कार्रवाई मंगलवार को अहमदाबाद में नौ जगहों पर छापेमारी के बाद की।
अहमदाबाद में संघीय जांच एजेंसी के क्षेत्रीय कार्यालय ने हाल ही में स्थानीय पुलिस की एफआईआर का संज्ञान लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। इस एफआईआर में सलीम जुम्मा खान पठान, मोहम्मद यासर, अब्दुलहमिया शेख, महमूद खान, जुम्मा खान पठान, फैज मोहम्मद, पीर मोहम्मद चोबदार और शहीद अहमद याकूब भाई शेख का नाम है। पुलिस ने कहा कि सलीम जुम्माखान पठान एक हिस्ट्रीशीटर है और उस पर आर्म्स एक्ट के तहत एक सहित 5 मामले दर्ज हैं।
ईडी ने बताया कि आरोपियों ने 'कांच की मस्जिद ट्रस्ट' और 'शाह बड़ा कसम ट्रस्ट' के ट्रस्टी होने का झूठा दावा किया था। एजेंसी ने आरोप लगाया कि उन्होंने धोखाधड़ी वाले लीज एग्रीमेंट किए, किराएदारों से किराया वसूला और वक्फ बोर्ड को झूठे हलफनामे प्रस्तुत किए। उसे संदेह है कि आरोपियों ने मस्जिद ट्रस्ट की जमीन पर दुकानें बनाईं, किराया वसूला और निजी फायदे के लिए अहमदाबाद नगर निगम और वक्फ बोर्ड के खिलाफ धोखाधड़ी और साजिश की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 'कांच की मस्जिद' से सटे एक भूखंड पर मूल रूप से मस्जिद ट्रस्ट का स्वामित्व था। इसे अहमदाबाद नगर निगम को सालों पहले इस समझौते के साथ दिया गया था कि भूखंड पर दो उर्दू स्कूल बनाए जाएंगे। बाद में 2001 के भूकंप के दौरान वहां बनाए गए स्कूल क्षतिग्रस्त हो गए थे और 2009 में वह गिरकर ध्वस्त हो गए। इसी दौरान सन् 2008 से 2025 के बीच, यहां अवैध रूप से 150 से 200 घर और 25 से 30 दुकानें बना दी गईं और आरोपी उसका किराया भी वसूलने लगे, लेकिन उस रकम को ट्रस्ट के खाते में जमा नहीं किया।
ईडी ने बताया कि आरोपियों ने ट्रस्ट के पैसे और जमीन को हड़प लिया, जो मूल रूप से सामुदायिक कल्याण के लिए थी। संघीय जांच एजेंसी के अनुसार, आरोपियों ने ट्रस्टीशिप का दावा करने और बोर्ड और नगर निगम दोनों को गुमराह करने के लिए 2024 में गांधीनगर में वक्फ बोर्ड को एक जाली हलफनामा प्रस्तुत किया था।
बुधवार को जारी एक बयान में प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि 2 करोड़ रुपए की बैंक जमा राशि और क्रिप्टोकरंसी में 7 लाख रुपए की फ्रीज कर दिए गए हैं। इसके अलावा, 30 लाख रुपए नकद भी जब्त किए गए हैं, उन्होंने कहा कि ये रकम या तो आरोपियों के स्वामित्व में थी या उनके सहयोगियों के नियंत्रण में थी, जिन्होंने अपराध की संदिग्ध आय को ठिकाने लगाया था।
केंद्र ने हाल ही में वक्फ संपत्तियों से संबंधित संचालन और लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए वक्फ संशोधन अधिनियम लाया है।
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