high court uphold acqittal of six men in british nationals murder in 2002 gujarat riots पर्याप्त सबूत नहीं; गुजरात HC से 6 लोगों को राहत, 2002 दंगों में ब्रिटिश नागरिकों की हत्या का था आरोप, Gujarat Hindi News - Hindustan
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पर्याप्त सबूत नहीं; गुजरात HC से 6 लोगों को राहत, 2002 दंगों में ब्रिटिश नागरिकों की हत्या का था आरोप

गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान तीन ब्रिटिश नागरिकों और उनके भारतीय ड्राइवर की हत्या के आरोपी छह लोगों को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने सत्र अदालत के 2015 के फैसले की पुष्टि की है।

Sneha Baluni अहमदाबाद। हिन्दुस्तान टाइम्सWed, 2 April 2025 11:12 AM
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पर्याप्त सबूत नहीं; गुजरात HC से 6 लोगों को राहत, 2002 दंगों में ब्रिटिश नागरिकों की हत्या का था आरोप

गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान तीन ब्रिटिश नागरिकों और उनके भारतीय ड्राइवर की हत्या के आरोपी छह लोगों को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने सत्र अदालत के 2015 के फैसले की पुष्टि की है जिसमें कहा गया था कि मामले में प्रस्तुत साक्ष्य दोषसिद्धि के लिए अपर्याप्त हैं। जस्टिस ए.वाई. कोगजे और जस्टिस समीर जे. दवे की पीठ ने फैसला सुनाया कि अभियोजन पक्ष, सईद सफीक दाऊद, सकील अब्दुल हई दाऊद, मोहम्मद असवर और यूसुफ सुलेमान पेरागर की हत्या के आरोपी आरोपियों के खिलाफ कानूनी रूप से ठोस मामला स्थापित करने में विफल रहा है। इन आरोपियों पर 28 फरवरी, 2002 को उनके वाहन पर भीड़ द्वारा हमला कर हत्या करने का आरोप है।

स्कूल टीचर मीठाभाई और किसान रमेशभाई सहित छह आरोपियों पर हत्या, हत्या का प्रयास, दंगा, आगजनी और सबूत नष्ट करने जैसे आरोप लगाए गए। ब्रिटिश नागरिकों को ले जा रही गाड़ी में आग लगा दी गई। दो यात्री जलकर मर गए। अभियोजन पक्ष ने कहा कि भीड़ ने पेरागर को कार के अंदर जला दिया और असवर की मौत सिर में चोट लगने से हुई। जली हुई फैक्ट्री में उनकी हड्डियों के टुकड़े मिलने के बाद तीन ब्रिटिश नागरिकों में से दो को मृत घोषित कर दिया गया। हमले में घायल हुए एक व्यक्ति ने मामले में शिकायत दर्ज कराई।

हाईकोर्ट ने सही पहचान परेड टेस्ट की कमी का हवाला दिया। इसमें कहा गया कि सर्वाइवर ने अदालत में आरोपी की पहचान की, लेकिन घटना के आठ साल बाद उसकी गवाही अनिश्चित थी। सर्वाइवर केवल इतना कह सका कि अदालत में दिखाए जाने पर आरोपी हमलावरों से 'कुछ हद तक' मिलता-जुलता था। अन्य प्रमुख मामलों में मीठाभाई के विवादित स्कूल अटेंडेंस रिकॉर्ड, अपराध में कथित रूप से इस्तेमाल की गई रमेशभाई की मोटरसाइकिल को लेकर सवाल और बरामद हथियारों या चोरी की वस्तुओं की अनुपस्थिति शामिल थी। फोरेंसिक साक्ष्य ने मौतों की पुष्टि की, लेकिन इसने किसी भी आरोपी को सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराया।

हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला ठोस सबूतों के बजाय एक गुमनाम सूचना से शुरू हुआ था। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि बरी किए जाने के खिलाफ अपील को पलटने के लिए भारी सबूतों की जरूरत होती है। ब्रिटिश नागरिकों की हत्या उन मामलों में से एक थी जिसकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (2008) ने फिर से जांच की। हाईकोर्ट ने गवाहों के बयानों में असंगतता पाई। सर्वाइवर ने दावा किया कि भीड़ में 15-20 लोग शामिल थे। वहीं एक स्वतंत्र गवाह, प्रवीण पटेल ने गवाही दी कि भीड़ बहुत बड़ी थी, लगभग 150-200 लोग शामिल थे।

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