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जंग में बंद न हो जाए होर्मुज स्ट्रेट; सिर्फ भारत ही नहीं, चीन संग इन देशों के लिए भी है दुखती रग

इजराइल द्वारा 13 जून को ईरान पर हवाई हमला करने के बाद से आशंका जताई जा रही है कि कहीं ईरान इस समुद्री मार्ग को बंद न कर दे। होर्मुज जलडमरूमध्य, अपने सबसे संकरे बिंदु पर केवल 33 KM चौड़ा है और दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण तेल मार्ग है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 18 June 2025 04:25 PM
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जंग में बंद न हो जाए होर्मुज स्ट्रेट; सिर्फ भारत ही नहीं, चीन संग इन देशों के लिए भी है दुखती रग

पिछले छह दिनों से ईरान और इजरायल के बीच छिड़ा युद्ध विकराल रूप ले रहा है। इजरायली सेना ने बताया है कि उसके लड़ाकू विमानों ने यूरेनियम ‘सेंट्रीफ्यूज’ और मिसाइलों के कल-पुर्जे बनाने वाले केंद्रों को निशाना बनाते हुए मंगलवार देर रात ईरान की राजधानी तेहरान पर बमबारी की है। दूसरी तरफ, इजरायल ने कहा है कि रात भर में ईरान की करीब 10 मिसाइलों को मार गिराया गया है। इजरायल ने शुक्रवार को अचानक तेहरान पर बमबारी शुरू कर दी थी और उसके परमाणु तथा सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया था। छह दिनों की इस जंग में ईरान में कम से कम 239 नागरिकों सहित 585 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1,300 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं।

दोनों देशों के बीच गहराते युद्ध के बीच पश्चिम एशिया का 33 किलोमीटर संकरा जलमार्ग यानी होर्मुज जलडमरूमध्य वैश्विक चिंता का केंद्र बन गया है। गहराते युद्ध के बीच आशंका जताई जा रही है कि कहीं ईरान इस समुद्री मार्ग को अवरुद्ध न कर दे। ईरानी नेता बार-बार इस संकरे जलमार्ग को बंद करने की धमकी दे रहे हैं। हालांकि, इससे पहले भी कई बार तेहरान ने इसी तरह की धमकियां दी हैं लेकिन कभी भी इस संकरे मार्ग को बंद नहीं होने दिया।

दुनिया के कुल तेल व्यापार का लगभग पांचवां हिस्सा यहीं से गुजरता है

यह जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है। यानी यह एक रणनीतिक समुद्री प्रवेश द्वार है, जहां से दुनिया के कुल तेल व्यापार का लगभग पांचवां हिस्सा गुजरता है। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (यूएस एनर्जी इन्फर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन) के अनुसार, वर्ष 2024 में रोजाना औसतन 2 करोड़ बैरल तेल का व्यापार इस मार्ग से हुआ है। यह संकरा जलमार्ग सऊदी अरब, इराक, कुवैत, यूएई और ईरान जैसे कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के प्रमुख निर्यातकों को प्राथमिक निर्यात मार्ग उपलब्ध कराता है। अगर यह रूट बंद होता है, तो इन देशों के लिए भी झटका होगा क्योंकि उनका निर्यात रुक जाएगा।

अगर अवरुद्ध हुआ जलमार्ग तो…

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के मुताबिक, होर्मुज जलडमरूमध्य दुनिया की लगभग 25 फीसदी तेल आपूर्ति का मार्ग है। IEA ने कहा है कि अगर ईरान ने सीमित अवधि के लिए भी इस मार्ग को अवरूद्ध किया तो पूरी दुनिया में तेल और गैस की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है। IEA ने यह भी कहा है कि अगर कोई बाधा नहीं आई तो 2030 तक इस रूट से प्रतिदिन 105.5 अरब बैरल तेल की सप्लाई हो सकती है।

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फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की सबसे बड़ी सूचीबद्ध तेल टैंकर कंपनी 'फ्रंटलाइन' ने कहा है कि उसने अब होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर खाड़ी में जाने वाले नए अनुबंधों से इनकार करना शुरू कर दिया है। इस बीच, तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। बता दें कि इस जलमार्ग से हरेक महीने 3000 से ज्यादा कॉमर्शियल शिप गुजरते हैं।

जलमार्ग का सबसे बड़ा लाभार्थी भारत

होर्मुज जलडमरूमध्य से व्यापार करने वाले लाभुकों में भारत एक बड़ा देश है। IEA के मुताबिक, 2022 में होर्मुज से गुजरने वाले कच्चे तेल और कंडेनसेट निर्यात का करीब 82 फीसदी सिर्फ एशिया के लिए था, जिसमें भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया की हिस्सेदारी 67 फीसदी थी। यानी भारत के अलावा इन देशों के लिए भी यह जलमार्ग दुखती रग है। खास बात यह भी है कि भारत इस रूट से ही अपने कच्चे तेल का लगभग 90 फीसदी हिस्सा आयात करता है। इनमें से 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सा सिर्फ मध्य-पूर्व के देशों से इसी संकरे जलमार्ग से आता है।

जब भारत को तैनात करनी पड़ी थी नौसेना

ऐसे में चिंता बना हुई है कि अगर ईरान ने होर्मुज जलमार्ग को रोक दिया तो देश में तेल का संकट उत्पन्न हो सकता है। हालांकि, पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में आश्वस्त किया है कि भारत में पर्याप्त मात्रा में तेल भंडार है। उन्होंने कहा, “भारत का कुल तेल भंडार लगभग 74 दिनों का है, IOCL का भंडार 40-42 दिनों का है, सरकार के विशेष प्रयोजन वाहन, भारतीय सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड के पास 9 दिनों से अधिक का भंडार है, और बाकी का रखरखाव BPCL और HPCL द्वारा किया जाता है।” बता दें कि 2019 में, जब होर्मुज में टैंकरों पर हमले होने लगे थे तब भारत ने तेल टैंकरों को एस्कॉर्ट करने के लिए वहां अपनी नौसेना को तैनात किया था और होर्मुज शांति पहल के तहत तेहरान के साथ कूटनीतिक रूप से बातचीत की थी।

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