ऐक्शन लो, वरना यात्रा प्रतिबंध लगा देंगे; ट्रंप ने अब इन 36 देशों को दिया 60 दिन का अल्टीमेटम
अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा भेजे गए एक गोपनीय दस्तावेज के अनुसार, इन 36 देशों में से अधिकांश अफ्रीकी महाद्वीप के हैं, जिनमें मिस्र, जिबूती, नाइजीरिया, इथियोपिया और घाना जैसे देश शामिल हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने 36 देशों को एक सख्त चेतावनी जारी की है। ट्रंप ने कहा है कि इन देशों को अपनी यात्रा दस्तावेजों की जांच प्रक्रिया में सुधार लाने और अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे अपने नागरिकों की स्थिति को संबोधित करने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे। इन देशों को बुधवार तक अपनी कार्रवाई योजना प्रस्तुत करने का समय दिया गया है। इसके बाद, 60 दिनों के भीतर उस योजना पर कार्रवाई करनी होगी अन्यथा उनके नागरिकों पर अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लग सकता है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा भेजे गए एक गोपनीय दस्तावेज के अनुसार, इन 36 देशों में से 25 अफ्रीकी हैं, जिनमें नाइजीरिया, लाइबेरिया, इथियोपिया, जिम्बाब्वे, घाना और मिस्र जैसे पारंपरिक अमेरिकी साझेदार भी शामिल हैं। मिस्र और जिबूती जैसे देशों के साथ अमेरिका के सैन्य संबंध भी हैं। वहीं, सीरिया और कांगो, जिन्हें पहले बैन से बाहर रखा गया था, उन्हें भी इस नई सूची में शामिल कर लिया गया है। दस्तावेज में कहा गया है कि इन देशों को 60 दिनों के भीतर अमेरिकी चिंताओं को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, अन्यथा अगस्त तक उनके नागरिकों पर पूर्ण या आंशिक यात्रा प्रतिबंध लागू हो सकता है।
"60 दिनों के भीतर अपनी प्रक्रियाओं में सुधार करें"
विदेश विभाग द्वारा भेजे गए एक गोपनीय डिप्लोमैटिक केबल में दुनियाभर में स्थित अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को निर्देश दिया गया है कि वे इन देशों की सरकारों से बात कर यह जानें कि वे अमेरिकी चिंताओं को लेकर कितनी गंभीरता से काम करने को तैयार हैं। अमेरिका चाहता है कि ये देश 60 दिनों के भीतर अपनी प्रक्रियाओं में सुधार करें, अन्यथा उन्हें मौजूदा ट्रैवल बैन लिस्ट में शामिल किया जा सकता है, जिसमें फिलहाल 12 देश शामिल हैं।
विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने गोपनीय दस्तावेज के विवरण पर टिप्पणी करने से इनकार किया, लेकिन यह स्वीकार किया कि अमेरिका चाहता है कि अन्य देश अपनी पासपोर्ट जांच प्रक्रियाओं को मज़बूत करें, अपने अवैध नागरिकों को वापस लेने में सहयोग करें, और यह सुनिश्चित करें कि उनके नागरिक अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा न हों।
उन्हें अपना सिस्टम बदलना होगा- US
ब्रूस ने कहा, “हम एक तय समय देने जा रहे हैं, जिसमें अगर देश हमें यह नहीं दिखा सके कि उनकी प्रक्रिया पर हमें भरोसा किया जा सकता है, तो उन्हें अपना सिस्टम बदलना होगा, अपडेट करना होगा, ताकि हमें यह भरोसा हो सके कि उनकी जानकारी पर हम निर्भर कर सकते हैं।” हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यदि कोई देश प्रतिबद्धता जताता है और सुधार की दिशा में काम कर रहा है लेकिन 60 दिनों के भीतर निर्धारित मानकों को पूरा नहीं कर पाता, तो उस पर प्रतिबंध लगेगा या नहीं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि प्रशासन का उद्देश्य उन देशों से सहयोग प्राप्त करना है जो अपने नागरिकों के लिए विश्वसनीय पासपोर्ट और पहचान दस्तावेज प्रदान करने में असमर्थ हैं या जिनके नागरिक अमेरिकी वीजा नियमों का उल्लंघन करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ देश अपने उन नागरिकों को वापस लेने में असहयोग करते हैं जिन्हें अमेरिका से निर्वासित किया जा रहा है। ट्रंप ने अपने एक बयान में कहा, "हम उन देशों से खतरनाक लोगों को अपने देश में नहीं आने देना चाहते। बाइडेन प्रशासन ने कुछ खतरनाक लोगों को अमेरिका में प्रवेश करने की अनुमति दी थी, और हम उन्हें एक-एक करके बाहर निकाल रहे हैं।"
पहले से बैन में शामिल देश
ट्रंप प्रशासन ने इस महीने की शुरुआत में 12 देशों पर पूर्ण यात्रा प्रतिबंध और सात अन्य देशों पर आंशिक प्रतिबंध लागू किया था। पूर्ण प्रतिबंध वाले देशों में अफगानिस्तान, म्यांमार, चाड, कांगो गणराज्य, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन शामिल हैं। आंशिक प्रतिबंध वाले देशों में बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला हैं।
नई चेतावनी सूची में शामिल 36 देश
अंगोला, एंटीगुआ और बारबुडा, बेनिन, भूटान, बुर्किना फासो, कंबोडिया, कैमरून, केप वर्डे, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, जिबूती, डोमिनिका, इथियोपिया, मिस्र, गैबॉन, गाम्बिया, घाना, आइवरी कोस्ट, किर्गिज़स्तान, लाइबेरिया, मलावी, मॉरिटानिया, नाइजर, नाइजीरिया, सेंट किट्स एंड नेविस, सेंट लूसिया, साओ टोमे और प्रिंसिपे, सेनेगल, दक्षिण सूडान, सीरिया, तंजानिया, टोंगा, तुवालु, युगांडा, वनुआतू, जाम्बिया और जिम्बाब्वे।
अफ्रीकी देशों की तीखी प्रतिक्रिया
कई अफ्रीकी देशों ने अमेरिका की इस नई नीति की आलोचना की है। उन्होंने इसे “भेदभावपूर्ण और असमान” करार देते हुए चेताया है कि वे भी इसके जवाब में कठोर कदम उठा सकते हैं। वहीं अमेरिका के भीतर भी शरणार्थी पुनर्वास संगठनों ने इस प्रतिबंध को विभाजनकारी बताते हुए विरोध किया है।
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