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पुतिन को टेंशन, जेलेंस्की होंगे खुश; इस ताकतवर देश ने NATO कमांड में शामिल होने की जताई इच्छा

  • नाटो के महासचिव मार्क रूट ने जापान के योकोसुका नौसैनिक अड्डे पर यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि जापान नाटो सपोर्ट टू यूक्रेन (NSATU) पहल में शामिल होना चाहता है, जिसके तहत यूक्रेन को हथियार, उपकरण और सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानTue, 8 April 2025 10:35 PM
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पुतिन को टेंशन, जेलेंस्की होंगे खुश; इस ताकतवर देश ने NATO कमांड में शामिल होने की जताई इच्छा

जापान ने मंगलवार को घोषणा की कि वह उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के कमांड में शामिल होना चाहता है, जो यूक्रेन के समर्थन के लिए बनाया गया है। यह खबर जापान के रक्षा और विदेश नीति में अहम बदलाव का संकेत देती है, क्योंकि टोक्यो आमतौर पर अपने सैन्य बल का इस्तेमाल केवल आत्मरक्षा के लिए करता रहा है। जापान के इस कदम को रूस-यूक्रेन युद्ध में नया मोड़ आ सकता है। यूक्रेनी सेना को पहले से ज्यादा मजबूती मिल सकती है। नाटो के महासचिव मार्क रूट ने जापान के योकोसुका नौसैनिक अड्डे पर यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि जापान नाटो सपोर्ट टू यूक्रेन (NSATU) पहल में शामिल होना चाहता है, जिसके तहत यूक्रेन को हथियार, उपकरण और सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है।

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नाटो के महासचिव रूट ने इसे लेकर चिंता जताई कि चीन का सैन्य विस्तार और ताइवान के पास मिलिट्री एक्सरसाइज क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा हैं। उन्होंने कहा, 'हमें चीन के बारे में भोला नहीं बनना चाहिए।' जापान ने आपसी सहयोग को इंडो-पैसिफिक फोर (IP4) ढांचे के तहत मजबूत करने की इच्छा जताई, जिसमें जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद यूरोप और एशिया की सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं खड़ी हुई हैं। जापान का यह फैसला उसी दिशा में सुरक्षात्मक कदम माना जा रहा है।

सैन्य क्षमता बढ़ाने में जुटा है जापान

जापान ने हाल के वर्षों में अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाई है, जिसमें लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें हासिल करने की तैयारी शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम चीन और रूस के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति का हिस्सा है। जापान पहले से ही यूक्रेन को मानवीय सहायता देता रहा है, लेकिन नाटो कमांड में शामिल होना उसकी सैन्य भागीदारी को बढ़ाने का संकेत है। इससे NATO के साथ उसकी रक्षा साझेदारी भी गहरी होगी। हालांकि, यह फैसला जापान के संविधान के अनुच्छेद 9 के तहत शांतिवादी नीति से हटने की बहस को तेज कर सकता है। जापानी जनता और विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह निर्णय वैश्विक सुरक्षा में जापान की नई भूमिका को दर्शाता है।

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