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आदेश नहीं माना तो परिणाम भुगतने होंगे, जज की डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन को सीधी चेतावनी

Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जज बोसबर्ग के बीच में तनातनी मची हुई है। ट्रंप ने उन्हें हटाने की मांग कर दी थी, अब बोसबर्ग ने कहा है कि अगर उनका आदेश नहीं माना गया तो प्रशासन को इसके परिणाम भुगतने होंगे।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानThu, 20 March 2025 07:07 AM
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आदेश नहीं माना तो परिणाम भुगतने होंगे, जज की डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन को सीधी चेतावनी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वेनेजुएला के लोगों को निर्वासित करने के फैसले को लेकर ट्रंप प्रशासन और अमेरिकी न्याय व्यवस्था के बीच में ठनी हुई है। वेनेजुएला के एक समूह के सदस्यों के निर्वासन को अस्थायी रूप से रोकने का आदेश देने वाले अमेरिकी जज ने बुधवार को कहा कि ट्रंप प्रशासन को इस आदेश का उल्लंघन करने के लिए परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। हालांकि जज ने इसके पहले ट्रंप प्रशासन को निष्कासनों पर विस्तार से रिपोर्ट करने का भी समय दिया है।

वाशिंगटन के डिस्ट्रिक्ट जज जेम्स बोसबर्ग ने ट्रंप प्रशासन को राहत देते हुए कहा कि वह अगर चाहे तो गोपनीयता सिद्धांत का प्रयोग करने का रास्ता चुन सकता है। इससे वह निर्वासन के संबंध में विस्तार में जानकारी देने से बच सकते हैं। वह यहां सीधे बता सकते हैं कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट का हवाला देते हुए जज ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मेरे आदेश का पालन करने से राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई भी खतरा होगा। दरअसल, मार्को रुबियो ने अपने पोस्ट में कहा था कि ऐसे आदेशों से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

जिला जज बोसबर्ग और ट्रंप प्रशासन के बीच में विवाद बढ़ता ही जा रहा है। जज द्वारा दिए गए मौखिक आदेश का ट्रंप प्रशासन ने उल्लंघन किया था। इसके बाद व्हाइट हाउस प्रवक्ता ने इस पर जानकारी देते हुए कहा था कि जो आदेश दिया गया था उसका पालन किया गया है। इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्रुथ सोशल पर जज बोसबर्ग को उपद्रवी और क्रांतिकारी बताते हुए महाभियोग चलाने की मांग की थी। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप की इस मांग को अमेरिकी सु्प्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने खारिज कर दिया था।

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दरअसल, ट्रंप प्रशासन ने वेनेजुएला के एक गिरोह के सदस्यों को 18 सदी के एक कानून के तहत देश से बाहर निकालने का फैसला किया था। जिन लोगों को निर्वासित किया जाना था उनमें से कुछ लोगों का केस बोसबर्ग की अदालत में चल रहा था, जब बोसबर्ग की इसकी जानकारी दी गई तो उन्होंने इन लोगों को हिरासत में लेने का आदेश दिया। बोसबर्ग के इस आदेश के बाद इन लोगों को निर्वासित करने के ट्रंप प्रशासन के फैसले पर सवाल खड़ा हो गया। यही नहीं बोसबर्ग ने वेनेजुएला के बाकी लोगों के निर्वासन पर भी अस्थाई तौर पर रोक लगाते हुए आदेश जारी कर दिया। जज को जब बताया गया कि कुछ लोगों को लेकर हवाई जहाज उड़ान भर चुका है तो उन्होंने मौखिक रूप से वापस बुलाने के लिए कहा.. यहीं पर बात फंस गई। ट्रंप प्रशासन द्वारा लिखित आदेश का पालन तो किया गया लेकिन मौखिक तौर पर दिए गए आदेश का पालन नहीं किया गया।

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