june 2025 last pradosh vrat meaning benefits date muhurt and puja vidhi and time Pradosh Vrat 2025: तो इस दिन है जून महीने का आखिरी प्रदोष व्रत, जानें पूजा की सही विधि और मुहूर्त, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़ - Hindustan
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Pradosh Vrat 2025: तो इस दिन है जून महीने का आखिरी प्रदोष व्रत, जानें पूजा की सही विधि और मुहूर्त

June Last Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा होती है। जून महीने के आखिरी प्रदोष व्रत के मुहूर्त और सही पूजा विधि को यहां जानें।

Garima Singh लाइव हिन्दुस्तानMon, 16 June 2025 11:40 AM
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Pradosh Vrat 2025: तो इस दिन है जून महीने का आखिरी प्रदोष व्रत, जानें पूजा की सही विधि और मुहूर्त

June Pradosh Vrat 2025: हिंदू धर्म में कई तरह के तीज-त्योहार और व्रत का बड़ा महत्व होता है। प्रदोष व्रत भी इन्हीं में से एक है। इस व्रत में भगवान शिव और पार्वती मां को पूजा जाता है। माना जाता है कि इस खास व्रत को करने से भोलेनाथ की कृपा हमेशा बनी रहती है और धीरे-धीरे जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं विधि-विधान के साथ इस व्रत को रखने से सुख समृद्धि भी आसानी से मिलती है। यह व्रत हर महीने दो बार पड़ता है। एक व्रत कृष्ण पक्ष में रखते हैं तो दूसरे को शुक्ल पक्ष में। चलिए जानते हैं कि आखिर जून महीने में अब प्रदोष व्रत कब पड़ेगा। साथ ही प्रदोष व्रत की पूजा विधि को भी जानेंगे।

प्रदोष व्रत का मतलब

प्रदोष व्रत को लोग त्रयोदशी व्रत भी कहते हैं। इस व्रत को लोग हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखते हैं। अब जान लेते हैं कि आखिर त्रयोदशी तिथि क्या है? हिंदू पंचांग में तेरहवीं तिथि को ही त्रयोदशी तिथि कहा जाता है। महीने में ये तिथि दो बार आती है। एक पूर्णिमा के बाद तो दूसरी अमावस्या के बाद। आसान भाषा में समझा जाए तो पूर्णिमा के बाद वाली त्रयोदशी को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी का कहा जाता है। वहीं अमावस्या के बाद आने वाली त्रयोदशी को शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी कहते हैं।

जून में कब है ये व्रत?

बता दें कि सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। जून माह में दूसरा प्रदोष व्रत 23 जून को रखा जाएगा जोकि सोमवार के दिन ही पड़ रहा है। सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अपना अलग ही महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो लोग भी व्रत रखते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 23 जून को 1 बजकर 21 मिनट पर त्रयोदशी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं रात के 10 बजकर 9 मिनट पर ये खत्म होगी। प्रदोष पूजा मुहूर्त के हिसाब से ये व्रत 23 जून को रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान कर लें। भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। सुबह भगवान शिव को पूजे। इसके बाद शाम में शिव और पार्वती मां की पूजा करें। गंगाजल से अभिषेक करने के बाद शिव जी की पंसदीदा चीजों जैसे बेलपत्र, शमी के पत्ते, चंदन, धतूता और भांग को चढ़ाएं। साथ ही फल और मिठाई भी रखें। आप चाहें तो शाम में ॐ नमः शिवाय का 108 बार जाप भी कर सकते हैं। इसी के साथ प्रदोष व्रत कथा का पाठ करना ना भूलें। आखिरी में शिव भगवान और मां पार्वती की आरती करें।

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