Nepal government plan revoking former King Gyanendra Shah passport नेपाल के पूर्व राजा ने करवाया इतना बड़ा बवाल? जुर्माना लगने के बाद अब पासपोर्ट होगा जब्त, International Hindi News - Hindustan
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नेपाल के पूर्व राजा ने करवाया इतना बड़ा बवाल? जुर्माना लगने के बाद अब पासपोर्ट होगा जब्त

  • नेपाल में राजशाही समर्थकों के विद्रोह के बाद से हालात बेकाबू हो गए हैं। भारी तनाव के बीच सेना तक को बुलाना पड़ गया है। सरकार को शक है कि यह सब कुछ पूर्व राजा के इशारों पर हुआ है।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानSun, 30 March 2025 07:57 AM
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नेपाल के पूर्व राजा ने करवाया इतना बड़ा बवाल? जुर्माना लगने के बाद अब पासपोर्ट होगा जब्त

नेपाल में बीते कुछ दिनों से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। शनिवार को राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों ने देश की राजनीतिक पार्टियों के दफ्तरों को निशाना बनाते हुए हमले किए जिसमें कम से कम 2 लोगों के मारे जाने की खबर है। वहीं राजधानी काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सरकार ने प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए सेना को भी उतार दिया है। हालांकि यह आंदोलन उग्र होता जा रहा है और राजशाही का समर्थन करने वाले संगठनों ने सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम दे दिया है। ये लोग नेपाल में राजशाही के लौटने और देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि देश में अचानक इस तरह की मांग क्यों उठ रही है? नेपाल की सरकार को शक है कि यह सब देश के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह करवा रहे हैं।

खबरों के मुताबिक सरकार ने हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की योजना बनाई है। वहीं नेपाल सरकार ने प्रदर्शन को भड़काने के शक में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नेपाल समाचार के मुताबिक अधिकारियों का दावा है कि इन प्रदर्शनों के पीछे ज्ञानेंद्र का ही हाथ है। उन पर जुर्माना भी लगाया गया है। काठमांडू के नागरिक निकाय ने शनिवार को ज्ञानेंद्र शाह पर जुर्माना लगाने की मांग करते हुए एक पत्र जारी किया। इस चिट्ठी में उन्हें नुकसान के लिए मुआवजे के रूप में 7,93,000 नेपाली रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया है।

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बता दें कि नेपाल में फरवरी में लोकतंत्र दिवस के बाद से राजशाही समर्थक सक्रिय हो गए हैं। उससे पहले ज्ञानेंद्र शाह ने एक बयान जारी कर कहा था कि अब देश की रक्षा करने का समय आ गया है और अब देश के एकता लाने की जिम्मेदारी हमें लेनी चाहिए। राजशाही समर्थक काठमांडू और देश के अन्य हिस्सों में रैलियां आयोजित कर रहे हैं जिसमें 2008 में खत्म किए गए 240 साल पुराने राजतंत्र को बहाल करने की मांग की गई है।

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