Nepal Two people died in clashes between monarchy supporters and police army called नेपाल में राजशाही समर्थकों की पुलिस से झड़प; 2 लोगों की मौत, काठमांडू में बुलाई गई सेना, International Hindi News - Hindustan
Hindi Newsविदेश न्यूज़Nepal Two people died in clashes between monarchy supporters and police army called

नेपाल में राजशाही समर्थकों की पुलिस से झड़प; 2 लोगों की मौत, काठमांडू में बुलाई गई सेना

  • तिनकुने क्षेत्र में एक इमारत से विरोध प्रदर्शन का वीडियो शूट करते समय एवेन्यूज टेलीविजन के फोटो पत्रकार सुरेश रजक की मृत्यु हो गई। यह वह स्थान है जहां राजतंत्रवादियों ने सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प की थी और सुरक्षा अवरोधकों को तोड़ने का प्रयास किया था।

Niteesh Kumar भाषाSat, 29 March 2025 12:39 AM
share Share
Follow Us on
नेपाल में राजशाही समर्थकों की पुलिस से झड़प; 2 लोगों की मौत, काठमांडू में बुलाई गई सेना

नेपाल में राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों की ओर से राजनीतिक दल के कार्यालय पर पथराव और हमला किए गया। इस घटना में 2 लोगों की मौत हो गई और 30 अन्य लोगों के घायल हो गए। इसके बाद शुक्रवार को सेना को बुला लिया गया और काठमांडू के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया। जिला प्रशासन ने पहले शाम 4:25 बजे से रात 10 बजे तक कर्फ्यू लगाया था, बाद में इसे शनिवार सुबह 7 बजे तक बढ़ा दिया। कुछ इलाकों में किसी को भी घूमने-फिरने की अनुमति नहीं दी गई। अधिकारियों ने बताया कि झड़प के दौरान गोली लगने से काठमांडू के 29 वर्षीय सबिन महराजन की अस्पताल में मौत हो गई।

ये भी पढ़ें:लोकतंत्र नहीं चलेगा, राजशाही लाओ; नेपाल में उग्र प्रदर्शनकारी, इमारतों को फूंका
ये भी पढ़ें:'राजा आओ देश बचाओ', नेपाल में भारी बवाल; तस्वीरों में देखिए अराजक मंजर

तिनकुने क्षेत्र में एक इमारत से विरोध प्रदर्शन का वीडियो शूट करते समय एवेन्यूज टेलीविजन के फोटो पत्रकार सुरेश रजक की मृत्यु हो गई। यह वह स्थान है जहां राजतंत्रवादियों ने सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प की थी और सुरक्षा अवरोधकों को तोड़ने का प्रयास किया था। एवेन्यूज टीवी के एक सूत्र के अनुसार, आग लगने के तुरंत बाद रजक लापता हो गए थे। बाद में, पुलिस को इमारत की चौथी मंजिल पर बुरी तरह से जला हुआ शव मिला, जिसके बारे में संदेह है कि वह रजक का है। पुलिस ने बताया कि शव की आधिकारिक पहचान अभी नहीं हो पाई है। अधिकारियों ने बताया कि घायलों में से लगभग आधे पुलिसकर्मी थे।

8 वाहनों को आग के हवाले किया

झड़प के दौरान प्रदर्शनकारियों ने एक घर को जला दिया, 8 वाहनों को आग के हवाले कर दिया। बानेश्वर में सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट के कार्यालय पर हमला किया। चाबाहिल में भटभटेनी सुपरमार्केट को लूट लिया और कांतिपुर टेलीविजन व अन्नपूर्णा पोस्ट अखबार के कार्यालयों में तोड़फोड़ की। काठमांडू जिला प्रशासन ने शांतिनगर पुल और मनोहरा नदी पुल के बीच कर्फ्यू की घोषणा की जिसमें कोटेश्वर, तिनकुने, हवाई अड्डा क्षेत्र, बनेश्वर चौक और गौशाला शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि टिकट दिखाने पर लोगों को हवाई अड्डे तक जाने की अनुमति दी गई। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरें और राष्ट्रीय ध्वज लेकर राजतंत्रवादियों ने तिनकुने क्षेत्र में प्रदर्शन किया, जिससे पुलिस के साथ झड़प हुई। हजारों राजतंत्रवादियों ने नेपाल में राजतंत्र की बहाली की मांग करते हुए 'राजा आओ देश बचाओ', 'भ्रष्ट सरकार मुर्दाबाद' और 'हमें राजतंत्र वापस चाहिए' जैसे नारे लगाए।

प्रधानमंत्री केपी ओली ने देश में व्याप्त अशांति पर चर्चा करने के लिए आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलाई। गृह मंत्रालय के एक बयान में सार्वजनिक संपत्ति को जलाने और तोड़फोड़ की निंदा की गई। साथ ही, कहा गया कि प्रदर्शनकारी अपनी स्वतंत्रता का नाजायज फायदा उठा रहे हैं। मंत्रालय ने कहा, 'इस तरह की हिंसा के लिए आयोजक खुद जिम्मेदार हैं।' मंत्रालय ने कहा कि सरकार कानून का उल्लंघन करने वालों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है। जब प्रदर्शनकारियों ने प्रतिबंधित क्षेत्र न्यू बानेश्वर की ओर बढ़ने का प्रयास किया, तो पुलिस ने प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के लिए कई युवाओं को हिरासत में लिया।

जब 240 साल पुरानी राजशाही हुई खत्म

नेपाल के राजनीतिक दलों ने 2008 में संसद की घोषणा के माध्यम से 240 साल पुरानी राजशाही को समाप्त कर करके तत्कालीन हिंदू राष्ट्र को एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य में बदल दिया था। राजशाहीवादी तब से राजशाही की बहाली की मांग कर रहे हैं, जब से पूर्व राजा ने लोकतंत्र दिवस (19 फरवरी) पर प्रसारित अपने वीडियो संदेश में समर्थन की अपील की थी। राजशाही समर्थक कार्यकर्ताओं ने 9 मार्च को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में एक रैली भी की, जो देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक स्थलों का दौरा करने के बाद पोखरा से त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे थे। इसके बाद कुछ समर्थकों ने ज्ञानेंद्र की तस्वीर के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर भी दिखाई।

इस बीच, सोशलिस्ट फ्रंट के नेतृत्व में हजारों राजशाही विरोधी भृकुटीमंडप में एकत्र हुए। उन्होंने 'गणतंत्र व्यवस्था अमर रहे', 'भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई करो' और 'राजशाही मुर्दाबाद' जैसे नारे लगाए। राजशाही विरोधी मोर्चे में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) और सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट जैसे राजनीतिक दल भी शामिल हुए। सीपीएन-मोइस्ट सेंटर के प्रमुख पुष्पकमल दाहाल प्रचंड ने भृकुटीमंडप में हजारों लोगों की मौजूदगी में एक रैली को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि राजशाही समर्थकों को नेपाली लोगों और राजनीतिक दलों के उदारवादी रवैये को कमजोरी नहीं समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व राजा अपने पिछले कुकर्मों के कारण एक साधारण नागरिक बनकर रह गए हैं। उन्होंने ज्ञानेंद्र से कहा कि वे वही गलती न दोहराएं, कहीं ऐसा न हो कि वह सब कुछ खो दें।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।