उंगली थमाकर पूरा हड़पना चाह रहे ट्रंप, यूं ही यूक्रेन में सीजफायर को नहीं बेकरार; नई खनिज डील पर क्यों रार
पहले की डील से चार कदम आगे बढ़कर अमेरिका सभी तरह के प्राकृतिक खनिजों समेत तेल और गैस सहित सभी तरह के ऊर्जा संसाधनों पर पूर्ण नियंत्रण चाहते हैं और बदले में यूक्रेन को कोई सुरक्षा गारंटी भी नहीं देना चाहते।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तीन साल से चल रहे यूक्रेन-रूस युद्ध को रोकने के लिए न सिर्फ कड़ी मशक्कत की है बल्कि युद्धविराम के लिए बातचीत के टेबल पर शुरुआती सफलता भी पाई है। यूक्रेन जहां पहले 30 दिनों के सीजफायर पर सहमति जता चुका है, वहीं रूस आंशिक युद्धविराम पर हामी भर चुका है और ऊर्जा समेत अन्य बड़े ठिकानों पर हमले नहीं करने की बात कर चुका है। इसी हफ्ते अमेरिकी प्रयास से यूक्रेन और रूस दोनों ने काला सागर में सीजफायर पर सहमति जताई है।
दूसरी तरफ, ट्रंप युद्धविराम के बदले यूक्रेन के साथ जिस समझौते पर आगे बढ़ रहे थे, उसमें यूक्रेन के प्राकृतिक और दुर्लभ खनिजों पर कब्जा शामिल था लेकिन यह डील अधर में तब लटक गई, जब पिछले महीने 28 फरवरी को यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप एवं उनके जूनियर यानी उप राष्ट्रपति जेडी वेन्स के साथ व्हाइट हाउस में भिड़ंत हो गई और जेलेंस्की बिना लंच किए व्हाइट हाउस से बाहर आ गए। जेलेंस्की की हुई इस अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती से लगा कि बातचीत बेपटरी हो चुकी है लेकिन सऊदी अरब की राजधानी रियाद में बारी-बारी से सभी पक्षों से बातचीत कर अमेरिका ने युद्धविराम पर नई कामयाबी हासिल की है।
नई खनिज डील में क्या?
अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस कूटनीतिक खेल के बदले में यूक्रेन से नई खनिज डील करना चाहते हैं। फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, इस बार ट्रंप यूक्रेन के सभी प्राकृतिक संसाधनों पर करीब पूर्ण नियंत्रण चाहते हैं। यानी, पहले की डील से चार कदम आगे बढ़कर अमेरिका सभी तरह के प्राकृतिक खनिजों समेत तेल और गैस सहित सभी तरह के ऊर्जा संसाधनों पर पूर्ण नियंत्रण चाहते हैं और बदले में यूक्रेन को कोई सुरक्षा गारंटी भी नहीं देना चाहते। पिछली बार की बातचीत में भी सुरक्षा गारंटी पर ही बहस आगे बढ़ी थी और बेकाबू हो गई थी।
जल्दबाजी में दस्तखत चाहते हैं ट्रंप
बता दें कि पहले के खनिज डील में सिर्फ प्रकृतिक और दुर्लभ खनिजों पर नियंत्रण की बात कही गई थी। उसमें भी भविष्य की योजनाओं में लाभांश पर सहमति बनी थी लेकिन वह भी मूर्त रूप नहीं ले सका क्योंकि 28 फरवरी को व्हाइट हाउस में गरमागरम बहस से दोनों देशों के बीच बात बेपटरी हो गई थी। अब युद्धविराम की झलक दिखलाकर यानी सहयोग की उंगली थमाकर ट्रंप यूक्रेन के पूरे प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा चाहते हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने भी यह स्वीकार किया है कि ट्रंप प्रशासन ने खनिज सौदे के लिए अब एक नया प्रस्ताव पेश किया है। हालांकि, उन्होंने इसकी बारीकियों पर कोई टिप्पणी नहीं की है। इसके बजाय, उन्होंने केवल यह संकेत दिया है कि ट्रंप चाहते हैं कि इस सौदे पर जल्दबाजी में दस्तखत कर दिए जाएं।
यूक्रेन-अमेरिका में क्यों तकरार
दरअसल, ट्रंप यूक्रेन के साथ ऐसा खनिज समझौता चाहते हैं, ताकि रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन को दिए गए सैन्य और आर्थिक मदद की भरपाई कर सकें। वह एक तरह से यूक्रेन के खनिज भंडारों पर कब्जा कर वसूली करना चाहते हैं। वह इस सौदे को यूक्रेन के लिए एक वास्तविक सुरक्षा गारंटी के रूप में पेश कर रहे हैं जबकि जेलेंस्की इससे इनकार कर रहे हैं। दूसरी बात जेलेंस्की का कहना है कि उनके देश का परमाणु ऊर्जा संयंत्र किसी भी सौदे में शामिल नहीं हैं, जबकि ट्रंप उसे भी शामिल करना चाहते हैं।
ट्रम्प ने खनिजों, तेल और गैस समेत परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को भी नियंत्रित करने की इच्छा जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप खनिज, तेल और गैस के अलावा इस सौदे में सड़क, रेलवे, पाइपलाइन, बंदरगाह और रिफाइनरियों जैसे बुनियादी ढांचे को भी शामिल करना चाहते हैं और उन पर नियंत्रण, प्रीमियम रॉयल्टी और लाभांश चाहते हैं।फिलहाल, यूक्रेन नई खनिज डील की शर्तों से इनकार कर रहा है।
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