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भारत पर 2 अप्रैल से जवाबी टैरिफ लागू करेगा अमेरिका, कहा- बाहर से आयातित सामान गंदे और घृणित

  • इन टैरिफ का उद्देश्य उन देशों को जवाब देना है जो अमेरिकी उत्पादों पर भारी शुल्क लगाते हैं, जबकि अमेरिका उनकी वस्तुओं पर अपेक्षाकृत कम या कोई शुल्क नहीं लगाता।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, वाशिंगटन डीसीWed, 5 March 2025 10:14 AM
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भारत पर 2 अप्रैल से जवाबी टैरिफ लागू करेगा अमेरिका, कहा- बाहर से आयातित सामान गंदे और घृणित

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि भारत, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ 2 अप्रैल, 2025 से लागू होगा। इस घोषणा के साथ ही ट्रंप ने विवादास्पद बयान भी दिया। उन्होंने कहा कि बाहर से आयातित सामान "गंदा और घृणित" होता है क्योंकि वह बिना किसी टेस्टिंग के अमेरिका आता है।

ट्रंप ने मंगलवार रात कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अन्य देशों ने दशकों से हमारे खिलाफ टैरिफ लगाए हैं और अब हमारी बारी है कि हम उन देशों के खिलाफ इसका इस्तेमाल करें। यूरोपीय संघ (ईयू), चीन, ब्राजील, भारत, मेक्सिको और कनाडा क्या आपने उनके बारे में सुना है। ऐसे अनेक देश हैं जो हमारी तुलना में हमसे बहुत अधिक टैरिफ वसूलते हैं। यह बिल्कुल अनुचित है।’’ बतौर राष्ट्रपति अपने दूसरे कार्यकाल में कांग्रेस को पहली बार संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारत हमसे 100 प्रतिशत से अधिक ऑटो शुल्क वसूलता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे उत्पादों पर चीन का औसत शुल्क दोगुना है... और दक्षिण कोरिया का औसत शुल्क चार गुना ज्यादा है। जरा सोचिए, चार गुना ज्यादा और हम दक्षिण कोरिया को सैन्य रूप से तथा कई अन्य तरीकों से इतनी मदद देते हैं। लेकिन यही होता है। यह दोस्त और दुश्मन दोनों की तरफ से हो रहा है। यह प्रणाली अमेरिका के लिए उचित नहीं है।’’ फरवरी में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि उनका प्रशासन ‘‘जल्द’’ भारत और चीन जैसे देशों पर जवाबी शुल्क लगाएगा, उन्होंने पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान भी यह कहा था। ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत को अमेरिका के जवाबी शुल्क से नहीं बख्शा जाएगा और इस बात पर जोर दिया कि शुल्क संरचना पर कोई भी उनसे बहस नहीं कर सकता।

इस दौरान ट्रंप ने कहा कि वे जवाबी टैरिफ पहले 1 अप्रैल से लागू करना चाहते थे लेकिन फिर 'अप्रैल फूल' के चलते इसे 2 अप्रैल से लागू करेंगे। ट्रंप ने कहा, "मैं तो 1 अप्रैल को लागू करना चाहता था, लेकिन मैं अप्रैल फूल्स डे का आरोप नहीं लगाना चाहता था। यह एक दिन हमें बहुत महंगा पड़ेगा, लेकिन फिर भी हम इसे 2 अप्रैल को करने जा रहे हैं। मैं बहुत अंधविश्वासी व्यक्ति हूं।" ट्रंप ने कहा कि ये शुल्क अमेरिका को फिर से अमीर और महान बनाने के लिए हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह कदम अमेरिकी किसानों, निर्माताओं और श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए उठाया जा रहा है, जो लंबे समय से असंतुलित व्यापार नीतियों से प्रभावित हो रहे हैं।

बाहर से आयातित सामान गंदे और घृणित- ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशी कृषि उत्पादों पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वे "बहुत गंदे और घृणित" हो सकते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि ये उत्पाद बिना सही टेस्टिंग के अमेरिका में प्रवेश करते हैं, जिससे घरेलू किसानों को नुकसान होता है। ट्रंप ने अपने बयान में कहा, "जो सामान अन्य देशों और कंपनियों से आता है, वे वास्तव में बहुत ही खराब स्थिति में होते हैं। इनकी जांच नहीं होती, वे बहुत गंदे और घृणित होते हैं और जब वे यहां आते हैं तो हमारे अमेरिकी किसानों को नुकसान पहुंचाते हैं।" उन्होंने कहा कि विदेशी कृषि उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर घरेलू कृषि उद्योग को सुरक्षित किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इससे "थोड़ी परेशानी" का सामना करना पड़ सकता है।

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इस घोषणा के अनुसार, इन टैरिफ का उद्देश्य उन देशों को जवाब देना है जो अमेरिकी उत्पादों पर भारी शुल्क लगाते हैं, जबकि अमेरिका उनकी वस्तुओं पर अपेक्षाकृत कम या कोई शुल्क नहीं लगाता। ट्रंप ने विशेष रूप से भारत और चीन का उल्लेख करते हुए कहा कि इन देशों की व्यापार नीतियां अमेरिकी बाजारों के लिए "अनुचित" रही हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यह नीति वैश्विक व्यापार में एक नया अध्याय शुरू कर सकती है, जिसका असर ग्लोबल सप्लाई चैन और कीमतों पर पड़ सकता है।

व्यापारिक संबंधों पर गहरा असर

इस घोषणा का भारत और चीन के साथ अमेरिका के व्यापारिक संबंधों पर गहरा असर पड़ सकता है। भारत अमेरिका का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है। ट्रंप का मानना है कि भारत पहले से ही कुछ अमेरिकी उत्पादों पर हाई टैरिफ लगाता है। ट्रंप ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात के दौरान भी इस मुद्दे को उठाया था और इसे "रेसिप्रोकल" करने की बात कही थी।

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस कदम से अल्पकालिक रूप से कीमतों में वृद्धि हो सकती है, लेकिन ट्रंप ने दावा किया कि इससे अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और व्यापार घाटा कम होगा। हालांकि, वैश्विक बाजारों में इस घोषणा के बाद अनिश्चितता बढ़ गई है, और कई देश इस नीति के जवाब में अपनी रणनीति पर विचार कर रहे हैं।

ट्रंप के इस फैसले की घोषणा के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें अब भारत और चीन की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। क्या यह कदम व्यापार युद्ध की शुरुआत होगा या नई व्यापारिक साझेदारियों का आधार बनेगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।

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