नेपाल की सरकार को एक हफ्ते का अल्टिमेटम, राजशाही के लिए छिड़ सकता है गृह युद्ध
- नेपाल में राजशाही समर्थक संगठनों ने सरकार को एक हफ्ते का अल्टिमेटम दे दिया है। उनका कहना है कि अगर सरकार उनके साथ समझौता नहीं करती है तो आंदोलन तेज हो जाएगा।

नेपाल में राजशाही की मांग वाला आंदोलन दिनों दिन तेज ही होता जा रहा है। राजशाही का समर्थन करने वाले संगठनों ने सरकार को एक हफ्ते का अल्टिमेटम दे दिया है। उनका कहना है कि अगर हफ्तेभर के अंदर कोई समझौता नहीं किया गया तो वे आंदोलन को और तेज कर देंगे। जॉइंट पीपल्स मूवमेंट कमेटी ने कहा है कि शुक्रवार को वे त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास रैली निकालेंगे।
संगठन के प्रवक्ता नाबराज सुबेदी ने कहा कि उन्होंने सभी लोकतांत्रिक पार्टियों और सरकार को एक सप्ताह का समय दिया है। उन्होंने कहा कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है। हालांकि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो यह आंदोलन और तेज होगा और हम अपना लक्ष्य हासिल करके ही रहेंगे। उनका कहना है कि सरकार को 1991 वाला संविधान लागू करना चाहिए और देश में संवैधानिक राजशाही होनी चाहिए जिसमें मल्टी पार्टी सिस्टम और संसदीय लोकतंत्र को भी जगह दी गई है। उनका कहना है कि नेपाल को हिंदू राष्ट्र होना चाहिए।
उनकी सरकार से मांग है कि मौजूदा संविधान में जरूरी संशोधन करके पूराने कानूनों को लागू करना चाहिए। वहीं शुक्रवार को चार पार्टियों का गठबंधन सोशलिस्ट रिफॉर्म भी लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन करने वाला है।इसमें कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल माओइस्ट और सीपीएन भी शामिल होगा। उनका कहना है कि नेपाल के लोगों ने इस लोकतंत्र के लिए संघर्ष किया है और इसे खत्म नहीं होने दिया जा सकता है।
सरकार ने कहा है कि राजधानी में तनाव को देखते हुए 5 हजार जवानों को तैनात किया जाएगा। एजेंसियों ने भी काठमांडू में हिंसक झड़पों की आशंका जताई है। पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह के समर्थकों ने 11 अप्रैल से आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया है। वहीं नेपाल के शीर्ष नेताओं का कहना है कि अब नेपाल में राजशाही की वापसी नामुमकिन है।
240 सालों तक हिंदू राष्ट्र रहा नेपाल
240 साल तक नेपाल हिंदू राष्ट्र था और यहां राजशाही चलती थी। साल 2001 में राजा वीरेंद्र विक्रम शाह की परिवार समेत हत्या कर दी गई थी। इसके बाद 2002 में उनके भाई ज्ञानेंद्र शाह राजा बन गए थे। वहीं चीन समर्थक कम्युनिस्ट पार्टी ने 2006 में राजशाही को खत्म कर दिया और नेपाल में कम्युनिस्टों का शासन हो गया। पुष्प कमल दहल प्रचंड ने राजतंत्र के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध तक चला दिया था।
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