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यूक्रेन के बाद यूरोप के इस देश पर भी हमला कर सकता है रूस, बनने लगे बंकर और सुरंगें

जर्मनी समेत यूरोप के कई देशों को डर है कि आने वाले समय में रूस उनपर भी हमला कर सकता है। जर्मनी ने इसके लिए तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानSun, 8 June 2025 07:21 PM
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यूक्रेन के बाद यूरोप के इस देश पर भी हमला कर सकता है रूस, बनने लगे बंकर और सुरंगें

रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से ज्यादा वक्त से युद्ध चल रहा है। दिनों दिन यह जंग गंभीर ही होती जा रही है। वहीं रूस यूरोप के उन देशों से भी चिढ़ा बैठा है जो कि यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं। रूस को उम्मीद थी कि कुछ दिनों में ही वह यू्क्रेन पर जीत हासिल कर लेगा। हालांकि यूरोपीय देशों की मदद की वजह से यूक्रेन रूस के सामने मजबूती से खड़ा है। अब जर्मनी को भी आशंका है कि आने वाले समय में रूस उसपर भी हमला कर सकता है। ऐसे में जर्मनी ने बंकर और सुरंगों का निर्माण शुरू कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चार साल के अंदर रूस जर्मनी पर हमला करने की योजना बना सकता है।

जर्मनी के सुरक्षा विभाग के हेड राल्फ टेसलर के मुताबिक, ऐसा माना जाता था कि जर्मनी को कोई खतरा नहीं है। अब उसे आने वाले समय में युद्ध का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि अब परिस्थितियां बदल गई हैं। हमें डर है कि यूरोप में बड़ा युद्ध हो सकता है। तीन साल से चल रहे रूस और यूक्रेन के युद्ध के बीच आशंका है कि रूस NATO देशों को भी निशाना बना सकता है।

जर्मनी के चीफ ऑफ डिफेंस जनरल कार्सटन ब्रूअर ने बीबीसी से सकहा था कि वे हर साल सैकड़ों टैंक बना रहे हैं। अगर 2029 तक नाटो देशों पर हमला होता है तो इनका इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा जर्मनी अब नए बंकर बनाने पर भी फोकस कर रहा है। इस काम में समय और पैसा दोनों ज्यादा लगेगा। मेट्रो स्टेशन के अंडरग्राउंड शेट्टर, कार पार्किंग, बेसमेंट और पब्लिक शेल्टर का काम भी जोर पकड़ रहा है।

टेसलर ने कहा कि 10 लाख लोगों के लिए बंकर और सुरक्षित इमारतें बनाने के लिए सबके प्रयास की जदरूरत है। जल्द ही एजेंसी पूरा प्लान लोगों के साथ साझा करेगी। उन्होंने कहा कि नए निर्माण में बहुत समय लग जाता है। प्रयास यह होना चाहिए कि पुरानी इमारतों को भी सुरक्षित बनाया जाए। शीत युद्ध के समय से ही जर्मनी में करीब 2 हजार बंकर हैं। वहीं इनमें से 600 के आसपास ही सही स्थिति में हैं। इनकी रिपेयरिंग में भी अच्छा खासा खर्च होने वाला है। जर्मनी के पास अभी 4 लाख 80 हजार लोगों को छिपाने की ही व्यवस्था है। वहीं फिनलैंड के पास 50 हजार से ज्यादा प्रोटेक्शन रूम हैं जिनमें 48 लाख लोग रुक सकते हैं।

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