टैरिफ पर ट्रंप को झटका, US कोर्ट ने अवैध बताया; भारत-पाक सीजफायर वाले तर्क को भी किया खारिज
कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद ट्रंप प्रशासन ने अपील दायर करने की घोषणा की। वाइट हाउस के उप प्रमुख स्टीफन मिलर ने फैसले को ‘न्यायिक तख्तापलट’ कहते हुए सोशल मीडिया पर कोर्ट की आलोचना की।

अमेरिका की एक व्यापार अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ को प्रभावी होने से रोकते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति ने आयात शुल्क लगाने में अपने संवैधानिक अधिकारों की सीमा का उल्लंघन किया है। ट्रंप प्रशासन ने इन टैरिफ को उन देशों पर लागू करने की योजना बनाई थी जो अमेरिका को उससे अधिक निर्यात करते हैं। ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ लगाने की वैधानिक शक्ति को IEEPA के तहत उचित ठहराया था। यह कानून राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में असामान्य और असाधारण खतरों से निपटने के लिए आर्थिक कदम उठाने की अनुमति देता है।
हालांकि मैनहैटन की तीन जजों की कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने सभी दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस ने राष्ट्रपति को असीमित शक्ति नहीं दी है। अदालत ने स्पष्ट किया, "संविधान के तहत अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करने का अधिकार केवल कांग्रेस के पास है, जिसे आपातकालीन शक्तियों के नाम पर राष्ट्रपति नहीं ले सकता।"
अदालत ने अपने फैसले में कहा, "यह अदालत राष्ट्रपति द्वारा टैरिफ का उपयोग कितनी बुद्धिमता से किया गया, उस पर कोई टिप्पणी नहीं करती। यह उपयोग इसलिए अवैध है क्योंकि कानून इसकी अनुमति नहीं देता, न कि इसलिए कि यह अनुचित या अप्रभावी है।" कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि यदि IEEPA की व्याख्या इस तरह की जाए कि वह राष्ट्रपति को असीमित टैरिफ लगाने की शक्ति दे, तो यह असंवैधानिक होगी।
भारत-पाक सीजफायर तर्क को भी किया खारिज
ट्रंप प्रशासन ने अदालत में दावा किया कि इन टैरिफ का उद्देश्य सिर्फ व्यापारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक था। अधिकारियों ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच मई की शुरुआत में हुए तनाव के दौरान ट्रंप ने हस्तक्षेप कर और टैरिफ रणनीति का इस्तेमाल कर दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच युद्ध को टालने में भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान स्थित आतंकियों द्वारा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को किए गए आतंकी हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की थी और ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ को राजनयिक दबाव के तौर पर इस्तेमाल किया।
डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को कई देशों पर 10% की न्यूनतम दर से टैरिफ लगाए थे। चीन और यूरोपीय संघ जैसे देशों पर सबसे ऊंचे शुल्क लगाए गए थे, लेकिन शेयर बाजार में हड़कंप के बाद कुछ टैरिफ को अस्थायी रूप से रोक दिया गया। 12 मई को ट्रंप प्रशासन ने चीन पर लगाए गए टैरिफ में अस्थायी छूट की घोषणा की थी। दोनों देशों ने 90 दिनों की शांति अवधि पर सहमति जताई थी।
कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद ट्रंप प्रशासन ने अपील दायर करने की घोषणा की। वाइट हाउस के उप प्रमुख स्टीफन मिलर ने फैसले को ‘न्यायिक तख्तापलट’ कहते हुए सोशल मीडिया पर कोर्ट की आलोचना की।
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