शहबाज लगा रहे वार्ता की गुहार, फिर आसिम मुनीर के तेवर क्यों बरकरार; इनसाइड स्टोरी
शहबाज शरीफ ने बार-बार दोहराया कि हम आतंकवाद के मसले पर भी बातचीत के लिए तैयार हैं। इसके अलावा कश्मीर, पानी और व्यापार भी बात करने की इच्छा जताई। एक तरफ शहबाज शरीफ का रुख भारत के प्रति इतना नरम हो गया है, लेकिन आसिम मुनीर के तेवर बरकरार हैं। गुरुवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने यह साबित कर दिया।

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने तुर्की से लेकर अजरबैजान तक में भारत के साथ वार्ता की गुहार लगाई है। उन्होंने यहां तक कहा कि सऊदी अरब में हम बात कर सकते हैं क्योंकि वहां के लिए शायद भारत राजी हो जाए। अब तक पाकिस्तान आतंकवाद के मसले पर बात करने से बचता रहा है, लेकिन शहबाज शरीफ ने बार-बार दोहराया कि हम आतंकवाद के मसले पर भी बातचीत के लिए तैयार हैं। इसके अलावा कश्मीर, पानी और व्यापार भी बात करने की इच्छा जताई। एक तरफ शहबाज शरीफ का रुख भारत के प्रति इतना नरम हो गया है, लेकिन दूसरी तरफ सेना प्रमुख आसिम मुनीर के तेवर अब भी बरकरार हैं। गुरुवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने यह साबित कर दिया।
आसिम मुनीर ने सिंधु जल समझौता स्थगित किए जाने को लेकर कहा कि हम भारत के वर्चस्व को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि पानी हमारे लिए रेड लाइन है। किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि पानी रोक कर पाकिस्तान के 24 करोड़ लोगों के मूल अधिकार से समझौता किया जाए। यही नहीं एक बार फिर से आसिम मुनीर ने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर के मसले को भूल नहीं सकते। यही नहीं शहबाज शरीफ तो कह रहे हैं कि वह आतंकवाद के मसले पर बात करने के लिए तैयार हैं, लेकिन आर्मी चीफ ने कहा कि यह तो भारत का आंतरिक मामला है। अब सवाल है कि आसिम मुनीर की भाषा शहबाज शरीफ के उलट क्यों है।
जानकार मानते हैं कि आसिम मुनीर के इस रुख वजह सेना की छवि को मजबूत करना है। पाकिस्तान में सेना हमेशा भारत के खिलाफ आक्रामक ही दिखना चाहती है ताकि राजनीतिक नेतृत्व के मुकाबले उसकी छवि मजबूत रहे। वह दिखाना चाहते हैं कि भले ही पॉलिटिकल लीडरशिप नरम है, लेकिन सेना का रुख टाइट है। इसकी वजह यह भी है कि भारत ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर अटैक किया है और सेना नहीं चाहती कि उसके बाद भी हमारे तेवर कमजोर दिखाई दें। इसके उलट शहबाज शरीफ सरकार नरम दिख रही है क्योंकि वह दुनिया भर में नैरेटिव बनाना चाहती है कि हम पर भारत ने अटैक किया है, तब भी हम बातचीत के लिए तैयार हैं।
शहबाज शरीफ की नरमी में भी छिपी है एक रणनीति
इस तरह सेना अपने रुख से आम पाकिस्तानियों को साथ रखना चाहती है। वहीं सरकार विदेशी समर्थन जुटाने की कोशिश में है। आसिम मुनीर के लिए सेना के प्रति जनता का भरोसा इसलिए भी बनाए रखना जरूरी है क्योंकि भले ही इमरान खान जेल में बंद हैं, लेकिन उनका समर्थन आधार बड़ा है। ऐसे में सेना के प्रति यदि जनता का नैरेटिव कमजोर हुआ तो इमरान खान मजबूत हो सकते हैं।
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