चिता की आग ठंडी भी न हुई थी, US के दबाव में पाक से क्यों की बात? कांग्रेस पर दूसरे दिन भी बरसे निशिकांत
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे इन दिनों कांग्रेस और पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर हमलावर हैं। एक दिन पहले भी उन्होंने राजीव गांधी सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने अमेरिकी दबाव में आकर पाकिस्तानी राष्ट्रपति जेनरल जिया से बात की थी।

केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने एक बार फिर कांग्रेस पर करारा हमला बोला है और आरोप लगाया है कि 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों में मारे गए 180 लोगों की चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने अमेरिकी दबाव में आकर दुश्मन देश पाकिस्तान से बातचीत शुरू कर दी थी। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में लोकसभा में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का दिया बयान भी सोशल मीडिया पर साझा किया है।
सोशल मीडिया एक्स पर शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करते हुए दुबे ने आरोप लगाया कि अमेरिका के दबाव में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के तुरंत बाद पाकिस्तान के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला किया था। एक्स पर साझा उस पोस्ट में दुबे ने जुलाई 2009 में मिस्र के शर्म अल-शेख में मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के बीच हुई बैठक का जिक्र किया है और कहा है कि यह नवंबर 2008 के मुंबई हमलों के बाद दोनों देशों के बीच पहली औपचारिक बातचीत थी।
निशिकांत दुबे ने क्या लिखा?
निशिकांत दुबे ने बैठक के समय पर सवाल उठाते हुए लिखा, “मुम्बई में पाकिस्तान ने हमला 26 नवंबर 2008 को किया। 180 लोग मरे व 300 घायल हुए,चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई, 1 दिसंबर से बिना पाकिस्तान पर आक्रमण किए बातचीत अमेरिकी दबाव में शुरू किया या नहीं, यह वक्तव्य प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी का है लोकसभा में?”
जनवरी 2009 में विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी या नहीं?
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के साथ बातचीत न केवल समय से पहले हुई बल्कि बाहरी ताकतों, खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका से प्रभावित भी थी। उन्होंने 2009 के कई उदाहरणों का हवाला दिया जहां भारतीय और पाकिस्तानी नेताओं ने कूटनीतिक बातचीत की। उन्होंने पूछा, "जनवरी 2009 में विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी या नहीं? जून 2009 में रूस में पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी से किसी तीसरे देश की मध्यस्थता में मिले थे या नहीं? जुलाई 2009 में अमेरिकी दबाव में शर्मल शेख मिस्र गए थे और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से समझौता किया था या नहीं?"
कांग्रेस पार्टी के कथित "नरम" रवैये की भी आलोचना
2011 में हुई एक और बड़ी आतंकी घटना का जिक्र करते हुए दुबे ने कहा कि इस तरह के हमले पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को लगातार समर्थन दिए जाने को उजागर करते हैं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के कथित "नरम" रवैये की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, "2011 में फिर से मुंबई में विस्फोट हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए और 200 लोग घायल हो गए। प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर करके हमारा सिर ऊंचा किया, सालों बाद पाकिस्तान दहशत में है। कांग्रेस पूरी तरह से आतंकी पाकिस्तान के साथ मिली हुई है। जनता जाए भाड़ में।"
राजीव गांधी सरकार की भी आलोचना
इससे पहले, गुरुवार को एक पोस्ट में दुबे ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान 1988 में पाकिस्तान के साथ हुए कथित परमाणु समझौते को लेकर भी कांग्रेस पर निशाना साधा था। दुबे के अनुसार, इस समझौते पर अमेरिकी दबाव के तहत हस्ताक्षर किए गए थे। उन्होंने कथित रूप से गोपनीय पत्र पोस्ट किया था, जिसके बारे में उनका दावा है कि यह पत्र पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने राजीव गांधी को भेजा था, जिसमें भारत-पाकिस्तान वार्ता के लिए एजेंडा निर्धारित करने में अमेरिका की भूमिका को रेखांकित किया गया था।
दुबे ने अपने पोस्ट में लिखा, "कांग्रेस क्यों नाराज है? जब मैंने यह पत्र देखा, तो मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को यह पत्र/टेलीग्राम भेजा था। अमेरिकी दबाव में हमने पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल जिया से बात की। वार्ता का एजेंडा अमेरिकी राष्ट्रपति ने तय किया था। इस पत्र के बाद हमें जो समझ में आया, वह यह था कि पाकिस्तान और हमने 1988 में अमेरिकी दबाव में परमाणु समझौता किया था।"
इन दिनों विदेश दौरे पर हैं निशिकांत दुबे
उन्होंने आगे कहा, "अफगानिस्तान समस्या पर हमने अपने मित्र सोवियत रूस से जो भी बात की, वह अमेरिकी एजेंडा था। क्या यह शिमला समझौता है? क्या आयरन लेडी गुलामी की मानसिकता है? क्या हम उस समय एक संप्रभु राष्ट्र थे? क्या कांग्रेस भारत को मजबूत बनाने के लिए मोदी जी को गाली दे रही है?" झारखंड के गोड्डा से सांसद दुबे इन दिनों पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के दौरे पर गए बहुदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं। भाजपा सांसद बैजयंत जय पांडा के नेतृत्व में यह दल पहले ही बहरीन, सऊदी अरब और कुवैत का दौरा कर चुका है। प्रतिनिधिमंडल अपने आधिकारिक दौरे के अगले चरण के लिए 30 मई को अल्जीरिया पहुंचने वाला है।