पूरा शिक्षा विभाग ही खत्म करने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप, मचा हड़कंप; भारतीय छात्रों पर होगा असर?
- यह कदम उनके चुनावी वादों में से एक था। इस आदेश पर व्हाइट हाउस में एक समारोह में हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिसमें कई रिपब्लिकन गवर्नर और राज्य के शिक्षा आयुक्त शामिल होंगे।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने विवादास्पद फैसलों से सुर्खियों में हैं। ताजा खबरों के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन अमेरिकी शिक्षा विभाग को पूरी तरह खत्म करने की तैयारी में जुट गया है। इस संभावित कदम ने न केवल अमेरिकी शिक्षा जगत में हड़कंप मचा दिया है, बल्कि वहां पढ़ रहे लाखों अंतरराष्ट्रीय छात्रों, खासकर भारतीय छात्रों के भविष्य पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
यूएसए टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप गुरुवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने वाले हैं, जिसका उद्देश्य अमेरिकी शिक्षा विभाग को समाप्त करना है। यह कदम उनके चुनावी वादों में से एक था। इस आदेश पर व्हाइट हाउस में एक समारोह में हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिसमें कई रिपब्लिकन गवर्नर और राज्य के शिक्षा आयुक्त शामिल होंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप अपने शिक्षा सचिव लिंडा मैकमैहन को यह निर्देश देंगे कि वे विभाग को बंद करने और शिक्षा से जुड़ी शक्तियों को राज्यों को सौंपने की प्रक्रिया शुरू करें। व्हाइट हाउस द्वारा जारी आदेश की जानकारी में कहा गया है कि इस दौरान शिक्षा संबंधी सेवाओं, कार्यक्रमों और लाभों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
कार्यकारी आदेश और राष्ट्रपति की शक्ति की नई परीक्षा
ट्रंप का यह आदेश राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियों की एक नई परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले, उन्होंने अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) को बंद करने की कोशिश की थी, लेकिन इस हफ्ते मैरीलैंड की एक संघीय अदालत ने इसे रोक दिया।
हालांकि शिक्षा विभाग को तत्काल बंद नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसे पूरी तरह समाप्त करने के लिए कांग्रेस की मंजूरी आवश्यक होगी। ट्रंप प्रशासन ने हाल के हफ्तों में इस एजेंसी के कर्मचारियों की संख्या में कमी की है, लेकिन यह अभी भी महत्वपूर्ण संघीय शिक्षा वित्तीय सहायता कार्यक्रमों की निगरानी कर रही है।
व्हाइट हाउस के उप प्रेस सचिव हैरिसन फील्ड्स ने कहा कि यह आदेश "माता-पिता, राज्यों और समुदायों को अधिक अधिकार देगा, जिससे सभी छात्रों के लिए बेहतर परिणाम सुनिश्चित होंगे।" उन्होंने कहा कि अमेरिका में हालिया राष्ट्रीय आकलन परीक्षा (NAEP) के परिणामों ने "शिक्षा में गिरावट" को उजागर किया है।
संघीय शिक्षा नियमों और नौकरशाही पर प्रहार
व्हाइट हाउस के आदेश में शिक्षा विभाग के "नियमों और कागजी कार्रवाई" को निशाना बनाया गया है। इसमें कहा गया है कि विभाग की ओर से जारी "प्रिय सहयोगी" पत्र संसाधनों को अनावश्यक नियमों में फंसाने का काम करते हैं और शिक्षकों का ध्यान उनके मुख्य कार्य से भटका देते हैं।
हालांकि, आदेश के तहत विशेष जरूरतमंद छात्रों के लिए संघीय वित्तीय सहायता (IDEA), निम्न-आय वर्ग के स्कूलों के लिए टाइटल I फंडिंग और संघीय छात्र ऋण भुगतान प्रभावित नहीं होंगे। लेकिन आदेश के अनुसार, शिक्षा विभाग से जुड़े शेष वित्तीय संसाधनों का उपयोग "विविधता, समानता और लैंगिक विचारधारा" को बढ़ावा देने में नहीं किया जा सकेगा।
रिपब्लिकन गवर्नर और राज्य सरकारों का समर्थन
इस आदेश के समर्थन में कई रिपब्लिकन गवर्नर हैं। फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसैंटिस, वर्जीनिया के गवर्नर ग्लेन यंगकिन, टेक्सास के ग्रेग एबॉट और ओहायो के माइक डिवाइन हस्ताक्षर समारोह में शामिल होंगे। रिपब्लिकन नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार राज्यों और स्थानीय स्कूल नीतियों पर अनावश्यक नियंत्रण रखती है, जबकि वास्तव में स्कूलों के पाठ्यक्रम पर इसका अधिकार नहीं है।
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में 1,300 से अधिक शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की छंटनी की है, जिसे "संघीय नौकरशाही में सुधार" के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। व्हाइट हाउस के अनुसार, ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से अब तक शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की संख्या 4,133 से घटाकर 2,183 कर दी गई है।
शिक्षा पर ट्रंप की राय
राष्ट्रपति ट्रंप लंबे समय से अमेरिकी स्कूलों की खराब प्रदर्शन पर चिंता व्यक्त करते रहे हैं। फरवरी में उन्होंने कहा था, "हमारे स्कूल शिक्षा के स्तर पर दुनिया में सबसे नीचे हैं, लेकिन प्रति छात्र खर्च के मामले में शीर्ष पर हैं।" वे अक्सर आईओवा और इंडियाना को शिक्षा में मजबूत प्रदर्शन करने वाले राज्य बताते हैं और मानते हैं कि शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी राज्यों को ही मिलनी चाहिए।
ट्रंप का यह आदेश उनकी कार्यकारी शक्तियों की एक और परीक्षा होगी, क्योंकि उन्होंने कांग्रेस को दरकिनार कर USAID और उपभोक्ता वित्तीय संरक्षण ब्यूरो को बंद करने का भी प्रयास किया था। अब यह देखना होगा कि क्या शिक्षा विभाग को बंद करने का उनका प्रयास कानूनी रूप से आगे बढ़ सकेगा या इसे अदालत में चुनौती मिलेगी।
भारतीय छात्रों पर क्या होगा असर?
अमेरिका भारतीय छात्रों के लिए उच्च शिक्षा का सबसे पसंदीदा जगह रहा है। 2023-24 में भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए अमेरिका में सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय छात्र भेजने वाले देश का स्थान हासिल किया था। करीब 3 लाख से अधिक भारतीय छात्र वहां विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं।
शिक्षा विभाग के बंद होने से कई अहम सवाल उठ रहे हैं:
फंडिंग पर संकट: शिक्षा विभाग स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को संघीय फंडिंग प्रदान करता है, जिससे ट्यूशन फीस कम करने और कम आय वाले छात्रों को सहायता मिलती है। विभाग के खत्म होने से यह फंडिंग प्रभावित हो सकती है, जिसका सीधा असर भारतीय छात्रों की पढ़ाई के खर्च पर पड़ सकता है।
स्टूडेंट लोन का भविष्य: विभाग 1.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के स्टूडेंट लोन को मैनेज करता है। इसके बंद होने से लोन माफी या सहायता कार्यक्रमों पर अनिश्चितता बढ़ सकती है, जो उन भारतीय छात्रों के लिए मुश्किल होगी जो कर्ज लेकर पढ़ाई कर रहे हैं।
वीजा और इमिग्रेशन नीतियां: ट्रंप प्रशासन पहले से ही सख्त इमिग्रेशन नीतियों के लिए जाना जाता है। शिक्षा विभाग के खत्म होने से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए वीजा नियमों में बदलाव की आशंका है, जिससे उनकी पढ़ाई और नौकरी के अवसर प्रभावित हो सकते हैं।
शिक्षा क्षेत्र में मचा हड़कंप
ट्रंप के इस कदम की घोषणा के बाद से ही अमेरिकी शिक्षा क्षेत्र में बहस छिड़ गई है। जहां कुछ लोग इसे नौकरशाही को कम करने और राज्यों को अधिकार देने के कदम के तौर पर देख रहे हैं, वहीं आलोचकों का कहना है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच पर बुरा असर पड़ेगा। शिक्षा सचिव लिंडा मैकमोहन, जिन्हें ट्रंप ने हाल ही में नियुक्त किया था, ने कहा कि वह इस फैसले का समर्थन करती हैं और इसे लागू करने के लिए तैयार हैं।
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