यूनुस ने कुर्सी बचाने के लिए किया इस्तीफे का ड्रामा? आर्मी चीफ से टकराव क्यों; क्या चल रहा बांग्लादेश में
बांग्लादेश में यूनुस के इस्तीफे को लेकर बीते दिनों बवाल मचा हुआ था। अब यूनुस सरकार ने यू-टर्न ले लिया है। आखिर यूनुस के फैसलों के पीछे उनकी मंशा क्या है आइए जानते हैं।

बांग्लादेश में इस वक्त सियासी हालात बेहद तनावपूर्ण हो चुके हैं। एक ओर जहां आम चुनाव की मांग तेज होती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ सरकारी कर्मचारियों का आंदोलन भी उग्र रूप ले चुका है। इस सबके बीच सबसे ज्यादा दबाव में हैं बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस, जिनके इस्तीफे की अटकलें लगातार लगाई जा रही थी लेकिन अब उन्होंने इस्तीफे से इनकार कर दिया है। क्या यूनुस वाकई इस्तीफा देना चाह रहे थे या फिर यह केवल सत्ता बचाने की एक सियासी चाल है? क्या वो सेना प्रमुख से सीधा टकराव मोल ले बैठे हैं? बांग्लादेश में क्या चल रहा है... आइए जानते हैं।
चुनाव को लेकर सरकार पर दबाव
बीते कुछ महीनों से बांग्लादेश की कई राजनीतिक पार्टियां, विशेषकर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), आम चुनाव को लेकर यूनुस सरकार पर दबाव बना रही हैं। इसी दबाव में आकर यूनुस ने 25 मई को कई दलों के साथ बैठक की। बैठक के बाद उनके प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने घोषणा की कि यूनुस अगले साल 30 जून के बाद एक दिन भी सत्ता में नहीं रहेंगे। यूनुस ने इस बीच भारत-विरोधी बयानबाजी कर माहौल अपने पक्ष में करने की कोशिश भी की, लेकिन उससे बीएनपी की नाराजगी कम नहीं हुई। यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान ने भी दिसंबर तक चुनाव करवाने की मांग को दोहराया। बीएनपी के वरिष्ठ नेता गयेश्वरचंद्र राय ने तो यहां तक कह दिया कि यदि वे सड़क पर उतर आएं तो यूनुस 24 घंटे भी पद पर नहीं टिक पाएंगे।
सेना प्रमुख से टकराव
इस सियासी संकट के बीच यूनुस का एक और मोर्चे पर सामना हो गया है, और वह सेना प्रमुख वाकर-उज-जमान हैं। कहा जा रहा है कि यूनुस ने वाकर को हटाकर उनके स्थान पर लेफ्टिनेंट जनरल एस. एम. कमरुल हसन को लाने की योजना बनाई थी। कमरुल को पाकिस्तान का करीबी माना जाता है और उनके जरिए यूनुस सरकार ने आईएसआई से भी संपर्क साधा। इसी के तहत आईएसआई का एक प्रतिनिधिमंडल हाल ही में ढाका भी पहुंचा था। इस साजिश की भनक वाकर को पहले ही लग गई और 21 मई को उन्होंने ढाका के कैंटोनमेंट में शीर्ष सैन्य कमांडरों के साथ बैठक कर अपनी पकड़ मजबूत कर ली। उन्होंने स्पष्ट संदेश दे दिया कि वे पद से नहीं हटेंगे और अब भी सेना के अंदर उनका प्रभाव बरकरार है।
क्या सियासी नाटक कर रहे यूनुस?
22 मई को यूनुस के इस्तीफे की चर्चाएं जोर पकड़ने लगीं। एनसीपी नेता नाहिद इस्लाम ने खुद दावा किया कि यूनुस इस्तीफे पर विचार कर रहे हैं। लेकिन अगले ही दिन यूनुस ने सलाहकारों के साथ लंबी बैठक की और साफ किया कि वे इस स्थिति में जिम्मेदारी निभाना मुश्किल समझ रहे हैं। हालांकि, अंततः यह भी स्पष्ट हो गया कि यूनुस अभी इस्तीफा नहीं देंगे। बांग्लादेश की सियासत को करीब से जानने वालों का मानना है कि यह पूरा इस्तीफे वाला नाटक यूनुस की कुर्सी बचाने की एक सियासी चाल है। वे छात्र नेताओं और जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी संगठनों को अपने पक्ष में रखकर सत्ता में टिके रहना चाहते हैं।
बांग्लादेश में क्या है माहौल
पिछले साल 5 अगस्त के जनविद्रोह में सरकार गिरने के बाद शेख हसीना भारत में शरण ली थीं और तभी यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी थी। लेकिन पिछले नौ महीनों में इस सरकार के दौरान कई बार हिंसक घटनाएं हो चुकी हैं, और अब हालात इस मोड़ पर हैं जहां सशस्त्र बलों को भी लगातार गश्त करनी पड़ रही है।
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