मोहम्मद यूनुस सरकार पर घिरते जा रहे बादल, अब एक और वर्ग सड़कों पर; सेना और नेता पहले ही खफा
मोहम्मद यूनुस को बीते साल ही शेख हसीना की सत्ता से बेदखली के बाद कमान मिली थी। उनकी लीडरशिप में बड़े पैमाने पर बदलाव हुए हैं और शेख मुजीबुर रहमान के दौर की बहुत सी चीजों को अब खत्म कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि उनके दौर में इस्लामिक चरमपंथी मजबूत हुए हैं। हिंदू समुदाय भी टारगेट पर रहा है।

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के खिलाफ भड़का लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। सोमवार को बांग्लादेश के स्कूल टीचरों ने भी सरकार के खिलाफ आंदोलन का ऐलान कर दिया। पहले से ही तमाम विभागों के सरकारी कर्मचारी अंतरिम सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं। 84 साल के नोबेल विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस को बीते साल ही शेख हसीना की सत्ता से बेदखली के बाद कमान मिली थी। उनकी लीडरशिप में बड़े पैमाने पर बदलाव हुए हैं और शेख मुजीबुर रहमान के दौर की बहुत सी चीजों को अब खत्म कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि उनके दौर में इस्लामिक चरमपंथी मजबूत हुए हैं। हिंदू समुदाय भी टारगेट पर रहा है।
17 करोड़ की आबादी वाले बांग्लादेश में शेख हसीना की विदाई के बाद से लगातार चुनाव की मांग होती रही है, लेकिन अंतरिम सरकार की ओर से इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। फिलहाल देश की नौकरशाही, स्कूल टीचर, राजनीतिक दल और यहां तक कि सेना भी उसके खिलाफ है। इन सभी का कहना है कि मोहम्मद यूनुस का अंतरिम शासन देश में लोकतंत्र बहाली में नाकाम रहा है। दरअसल रविवार को अंतरिम सरकार की ओर से एक आदेश पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन मंत्रालय को दिया गया था कि यदि कोई कर्मचारी नियम का उल्लंघन करता है तो उसे बिना देरी किए नौकरी से हटा दिया जाए।
इसके खिलाफ पूरे बांग्लादेश की नौकरशाही भड़की हुई है। सरकारी कर्मचारी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इसे वापस लेने की मांग की जा रही है। कर्मचारियों का कहना है कि यह फैसला दमनात्मक है। इसके अलावा सोमवार से हजारों टीचर भी अनिश्चितकाल के लिए अवकाश पर चले गए हैं। इन लोगों की डिमांड है कि उनकी सैलरी में इजाफा किया जाए। इससे पहले देश के नेशनल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के कर्मचारियों ने विभाग खत्म किए जाने के खिलाफ आंदोलन किया था। उनके प्रदर्शन के बाद सरकार ने पुराने फैसले को पलट दिया, जिसके तहत विभाग को खत्म कर उसके बदले में दो अन्य डिविजन शुरू करने की तैयारी थी।
बीते सप्ताह यूनुस ने इस्तीफे तक की बात कही, बिगड़ते जा रहे हालात
दरअसल बीते सप्ताह से बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के भी हालात हैं। एक शीर्ष छात्र नेता ने कहा था कि मोहम्मद यूनुस का कहना है कि वह इस्तीफा भी दे सकते हैं, यदि राजनीतिक दलों ने सुधारों पर सहमति नहीं जताई और इलेक्शन टाइमलाइन को लेकर राजी न हुए। यूनुस कैबिनेट में प्लानिंग एडवाइजर वहीदुद्दीन महमूद का कहना है कि वह अभी कायम हैं। उन्होंने कहा कि जब तक हमारा काम पूरा नहीं होगा। हम लोग कहीं नहीं जाएंगे। हमारी प्रतिबद्धता है कि सही से चुनाव हों। हालांकि अब तक चुनाव को लेकर कोई भरोसा सरकार की ओर से नहीं मिला है।
जून में चुनाव चाहते हैं युनूस, पर सेना और जिया की दिसंबर की मांग कर रहे
दरअसल मोहम्मद यूनुस का कहना है कि चुनाव अगले साल जून में हों। वहीं बेगम खालिदा जिया की पार्टी चाहती है कि इसी साल के अंत तक इलेक्शन करा लिए जाएं। वहीं मौजूदा आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमां का भी कहना है कि इस साल दिसंबर तक चुनाव कराए जाएं। उन्होंने मौजूदा राजनीतिक हालात पर अपनी असहमति भी जाहिर की है। इसी के बाद यूनुस ने एक मीटिंग बुलाई, लेकिन किसी सुधार की बात करने की बजाय मौजूदा बवाल के लिए भारत सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
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