जम्मू-कश्मीर विधानसभा में क्यों पक्ष-विपक्ष हो गए एकजुट, क्या है दो गुज्जर युवकों की मौत का विवाद
सदन में भारी शोरगुल और हंगामे के बीच, एक एनसी विधायक ने कहा कि यह अब आम बात हो गई है कि लोग पहले गायब हो जाते हैं और फिर उनकी लाशें मिलती हैं।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने एकसुर में हंगामा करना शुरू कर दिया। दरअसल, कुलगाम जिले में दो गुज्जर युवकों की मौत के बाद सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई को लेकर सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेन्स और विपक्षी पीडीपी के विधायक हंगामा करने लगे। हुआ यूं कि जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, सुरनकोट विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक चौधरी मुहम्मद अकरम अपनी सीट से खड़े हो गए और वह उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करने लगे, जिन्होंने दो गुज्जर युवकों की मौतों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही एक महिला को लात मारी। अकरम ने कहा, "यह गंभीर चिंता का विषय है, एक महिला को एसएसपी ने लात मारी। सदन को इसकी निंदा होनी चाहिए।"
इसके तुरंत बाद नेशनल कॉन्फ्रेन्स के विधायक पीरजादा फिरोज अहमद ने भी चौधरी का समर्थन करते हुए कहा, "ये मौतें कैसे हुईं, इसकी जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाना चाहिए। अहमद ने सदन में कहा कि कठुआ और कुलगाम में जो कुछ भी हो रहा है, वह एक मानवीय मुद्दा है और सरकार को इस पर गंभीरता से संज्ञान लेने की जरूरत है।
महिला को लात मारने पर भड़के विधायकगण
अहमद के साथ ही उनकी ही पार्टी के विधायक नजीर गुरेजी भी कुलगाम में एसएसपी द्वारा एक महिला को लात मारने की घटना पर भड़क उठे। उन्होंने पूछा, "क्या जम्मू-कश्मीर पुलिस राज्य की पुलिस है? क्या पुलिस अधिकारियों के लिए कोई कानून नहीं है? क्या पुलिस किसी को भी गोली मार सकती है,या गिरफ्तार कर सकती है? क्या पुलिस के लिए कोई कानून नहीं है? हम अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं।"
हंगामे में सभी दल शामिल
इस हंगामे में जल्द ही कांग्रेस और पीडीपी के विधायक भी शामिल हो गए और वेल के पास जमा हो गए। उन्होंने दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। सदन में भारी शोरगुल और हंगामे के बीच, एक एनसी विधायक ने कहा कि यह अब आम बात हो गई है कि लोग पहले गायब हो जाते हैं और फिर उनकी लाशें मिलती हैं। एनसी विधायक जावेद चौधरी, मियां मेहर अली, जावेद मिरचल और जफर अली खटाना ने वेल में घुसने की कोशिश की, लेकिन मार्शलों ने उन्हें रोक दिया। हंगामा बढ़ता देख स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे का संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा, “सीएम ने खुद आप सभी की बात सुनी है और मामले को सुलझाने का आश्वासन दिया है।”
क्या है मामला और विवाद
बता दें कि शौकत अहमद बजाद, उनके भाई रियाज अहमद बजाद और मुख्तार अहमद 13 फरवरी को कुलगाम जिले के अशमुजी में एक पारिवारिक समारोह में शामिल होने निकले थे, लेकिन वे वहां नहीं पहुंचे और लापता हो गये। तीनों मजदूरी का काम करते थे। बाद में रविवार को कुलगाम जिले के वैशोव नाले से रविवार को शौकत अहमद बजाद का शव बरामद किया गया, जबकि उनके भाई रियाज अहमद का भी शव कुछ दिन पहले वहीं से मिला था। उनके परिजनों का आरोप है कि उन्हें प्रताड़ित करके मारा गया है। परिजनने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है।
DIG करेंगे मामले की जांच
कुलगाम में रविवार रात को श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम कर पुलिस से जांच शुरू करने और उन लोगों पर कार्रवाई करने की मांग की जिन पर रियाज अहमद, शौकत अहमद और मुख्तार अहमद के परिजन ने उनकी हत्या के लिए संदेह जताया था। इसी दौरान पुलिस अधिकारी ने महिला से दुर्व्यवहार किया था। इस बीच, पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा, “कुलगाम में जनता के साथ एक पुलिस अधिकारी के आचरण के बारे में सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है। हमने कल की घटना और अधिकारी के आचरण के बारे में आरोपों का संज्ञान लिया है। डीआईजी दक्षिण कश्मीर जांच करेंगे और 10 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।”
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