International Sarna Religion Conference to be Held at Luguburu Ghatabari Dhromgadh Jharkhand लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोमगाढ़ में व्यवस्था और बेहतर होगी, Bokaro Hindi News - Hindustan
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लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोमगाढ़ में व्यवस्था और बेहतर होगी

गोमिया प्रखंड के ललपनिया में हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर अंतरराष्ट्रीय सरना धर्म महासम्मेलन आयोजित होता है। लाखों श्रद्धालु इस अवसर पर जुटते हैं। हाल ही में डीसी ने यहां व्यवस्थाओं को बेहतर करने के लिए...

Newswrap हिन्दुस्तान, बोकारोSun, 15 June 2025 04:34 PM
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लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोमगाढ़ में व्यवस्था और बेहतर होगी

गोमिया, प्रतिनिधि। बेरमो अनुमंडल के गोमिया प्रखंड अंतर्गत ललपनिया। यहां सरना धर्मावलंबियों का विश्व स्तर पर आस्था का केंद्र लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोमगाढ़ है। यहां प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर अंतरराष्ट्रीय सरना धर्म महासम्मेलन का आयोजन किया जाता है। भारत के कोने-कोने सहित नेपाल के अलावा अन्य कई देशों से यहां लाखों की संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु जुटते हैं। यहां मेला भी इस दौरान लगता है। तरह-तरह की खरीददारी की जाती है। पिछले कई वर्षों से इसे राजकीय महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यहां व्यवस्थाएं और बेहतर की जायेंगी : गोमिया प्रखंड के ललपनिया पंचायत अंतर्गत तिलैया गांव में शुक्रवार की रात जिला प्रशासन की ओर से आयोजित रात्रि चौपाल का सफल संचालन के क्रम में डीसी अजय नाथ झा लुगुबुरु भी पहुंचे।

यहां मत्था टेका और पूजा-अर्चना की। टीटीपीएस के श्यामली गेस्ट हाउस में डीसी ने अधिकारियों संग बैठक की। लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोमगाढ़ में पूजा सहित अन्य संबंधित व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख में समिति सदस्यों की सहमति से आर्गेनाइजिंग कमेटी गठित करने पर विचार-विमर्श किया। अक्तूबर तक कार्य पूरा करने का निर्देश : डीसी ने धोरोमगाढ़ में संचालित विकास कार्यों का जायजा लिया। निर्माणाधीन स्टेज, पार्किंग व चिल्ड्रेन पार्क समेत अन्य कार्यों का निरीक्षण किया। वहीं एजेंसी को कार्यों को अक्तूबर माह तक समाप्त करने का निर्देश दिया गया। मंदिर की बाहरी दीवार को टेराकोटा का इस्तेमाल करते हुए प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखते हुए सांस्कृतिक महत्व की झलक प्रस्तुत करने की बात कही। यहां पत्थर पर बनी ओखली की पौराणिक धरोहर को संरक्षित करने का भी निर्देश दिया ताकि स्थानीय संस्कृति और विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेजा जा सके।

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