राहुल अध्ययन केंद्र में शहादत दिवस मना
मधुपुर में आजादी की लड़ाई 1857 में शहीद हुए रोहिणी के तीन शहीदों की शहादत दिवस मनाया गया। साहित्यकार धनंजय प्रसाद ने बताया कि इन तीन घुड़सवार सैनिकों ने आजादी का बिगुल फूंका था और अंग्रेजों द्वारा...

मधुपुर,प्रतिनिधि। स्थानीय राहुल अध्ययन केन्द्र में आजादी की लड़ाई 1857 में शहीद हुए रोहिणी के तीनों शहीदों की शहादत दिवस मनायी गयी । मौके पर उपस्थित लोगों ने शहीदों की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित की। मौके पर साहित्यकार धनंजय प्रसाद ने विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए कहा कि आजादी की पहली लड़ाई के दरम्यान संताल परगना के रोहिणी गांव में सिपाही विद्रोह की लपटें पहुंची और यहां के तीन घुड़सवार सैनिकों ने आजादी का बिगुल फूंका था। जिस वजह से अंग्रेजी हुकूमत ने आज ही के दिन तीन क्रांतिकारी सैनानी अमानत अली , सलामत अली व शेख हारुण को रोहिणी के आम बगान में आम के पेड़ पर लटकाकर फांसी दे दिया था।
आज तीनों वीर क्रांतिकारी सैनानियों की शहादत दिवस है। रोहिणी में पांचवीं स्थायी घुड़सवार फौज रहा करते थे। अंग्रेजी सैन्य छावनी के अधिकारी मेजर मैकडोनाल्ड थे, सर एनएनआर लेस्सी वार्ट और डॉ. ग्रान्ट सहित दो अन्य अधिकारियों के ऊपर तीनों सैनानियों ने 12 जून 1857 को हमला बोल कर सर लेज़ली को मौत के घाट उतार दिया। क्योंकि ये अधिकारी सैनानियों के साथ जुल्म और दुर्व्यवहार करते रहते थे और गुलामों जैसा व्यवहार करते थे। इस घटना का असर देश के कोने -कोने में पड़ा और विद्रोह की चिंगारी फैल गई। आजादी के लिए लड़ने वाले व बलिदान देने ऐसे शहीदों को लोग भूलते जा रहे हैं और साम्राज्यवादी व फ़ासिस्ट शक्तियों द्वारा इसे देशभक्तों को झूठलाकर छद्म देशभक्तों को सामने लाकर महिमा मंडन किया जा रहा है । इसलिए ऐसे क्रांतिकारी शहीद स्वतंत्रता सेनानी को कैसे बिसरा जा सकता है, उन्हें याद करना लाजिमी है।
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