वाहन चेकिंग अभियान: 91 वाहन चालकों से 2.6 लाख जुर्माना, 24 ड्राइविंग लाइसेंस जब्त
देवघर में सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष वाहन चेकिंग अभियान चलाया गया। नगर, कुंडा और जसीडीह थाना क्षेत्रों में 91 वाहन चालकों से ₹2.6 लाख का जुर्माना वसूला गया। गंभीर उल्लंघन करने वाले 24...

देवघर, प्रतिनिधि। जिले में सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक विशेष वाहन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। अभियान नगर, कुंडा और जसीडीह थाना क्षेत्रों में अलग-अलग टीमों द्वारा इस सघन जांच अभियान को अंजाम दिया गया, जिसमें नियमों का उल्लंघन करने वाले 91 वाहन चालकों से कुल ₹2.6 लाख का जुर्माना वसूला गया। अभियान के दौरान यातायात नियमों का गंभीर रूप से उल्लंघन करने वाले 24 वाहन चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस को जब्त कर लिया गया। वहीं, शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
दोनों व्यक्ति नगर थाना क्षेत्र का रहने वाले हैं। इस अभियान में उड़न दस्ता टीम की विशेष भूमिका रही। टीम का नेतृत्व कर रहे संजय कुमार यादव ने बताया कि उनकी टीम ने अकेले 52 वाहनों को जब्त कर संबंधित थानों तक पहुंचाया। उन्होंने बताया कि जप्त किए गए अधिकांश वाहन चालक या तो बिना हेलमेट, बिना लाइसेंस या शराब के नशे में वाहन चला रहे थे। कई वाहन ओवरलोडिंग, ट्रैफिक सिग्नल तोड़ने और तेज रफ्तार जैसे गंभीर उल्लंघनों में भी शामिल पाए गए। संजय कुमार यादव ने मौके पर ही कई वाहन चालकों को यातायात नियमों की जानकारी दी और उन्हें जागरूक किया कि ट्रैफिक नियमों का पालन न केवल कानून का हिस्सा है, बल्कि यह उनकी और दूसरों की जान की सुरक्षा के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा, लोगों को चाहिए कि वे वाहन चलाते समय नियमों का सम्मान करें। एक छोटी सी लापरवाही किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। चेकिंग अभियान में ट्रैफिक पुलिस के साथ-साथ स्थानीय थानों की भी सक्रिय भागीदारी रही। जब्त अधिकांश गाड़ियां पैरवी से छुट जाती, सरकार को राजस्व का नुकसान: वाहन चेकिंग अभियान के दौरान जब्त की गई अधिकांश गाड़ियां पुलिस पदाधिकारियों और प्रभावशाली लोगों की पैरवी के कारण बिना जुर्माना भरे ही छोड़ दी जाती हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों की गाड़ियां जब थाने लाई जाती हैं, तो उनमें से आधे से अधिक वाहनों को सफेद पोस के फोन होने पर छोड़ दिया जाता है। इस प्रक्रिया से न केवल अभियान की सख्ती पर सवाल खड़े होते हैं, बल्कि सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का भी नुकसान होता है। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करने की बजाय पैरवी के चलते उन्हें राहत देना पूरे अभियान की मंशा को कमजोर करता है।
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