झारखंड: महिला जज को नहीं मिली 'चाइल्ड केयर लीव'- बच्चे की देखभाल खातिर पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए याचिका का उल्लेख किया गया। पीठ ने 29 मई को मामले की सुनवाई करने पर सहमति जताई है।

झारखंड की एक महिला न्यायिक अधिकारी ने चाइल्ड केयर लीव देने से इनकार किए जाने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए याचिका का उल्लेख किया गया। पीठ ने 29 मई को मामले की सुनवाई करने पर सहमति जताई है।
महिला न्यायिक अधिकारी की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि वह एक एडिशनल डिस्ट्रिक जज और सिंगल पेरेंट (एकल अभिभावक) है। वकील ने कहा, "उन्होंने चाइल्ड केयर लीव मांगी थी क्योंकि, उसका तबादला किसी अन्य स्थान पर कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा मांगी गई छुट्टी को अस्वीकार कर दिया गया था।
वकील ने कहा कि महिला ने 10 जून से दिसंबर तक चाइल्ड केयर लीव मांगी थी। सीजेआई ने पूछा, इसे क्यों अस्वीकार कर दिया गया? इस पर वकील ने जवाब देते हुए बताया कि इसके लिए कोई कारण नहीं बताया गया है।
चाइल्ड केयर लीव (CCL) एक विशेष प्रकार का अवकाश है जो महिला कर्मचारियों और एकल पुरुष कर्मचारियों को उनके बच्चों की देखभाल के लिए दिया जाता है। यह छुट्टी बच्चों के पालन-पोषण, बीमारी या किसी अन्य जरूरी मामले में उनके बच्चे की देखभाल के लिए ली जाती है।