बिरसा मुंडा केवल आदिवासियों के नहीं, बल्कि पूरे देश के प्रेरणा स्त्रोत हैं : मिथिलेश
गढ़वा में आदिवासी समाज के महान नेता भगवान बिरसा मुंडा की 125 वीं पुण्यतिथि मनाई गई। पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने बिरसा मुंडा को राष्ट्र का...

गढ़वा, प्रतिनिधि। आदिवासी समाज के महान क्रांतिकारी धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 125 वीं पुण्यतिथि मनाई गई। जिला मुख्यालय स्थित बिरसा मुंडा हेलीपैड पार्क में सोमवार को झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। उन्होंने धरती आबा के योगदान को याद करते हुए उन्हें राष्ट्र का प्रेरणास्रोत बताया। साथ ही कार्यक्रम में काफी संख्या में उपस्थित झामुमो के लोगों ने भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी व उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया। मौके पर पूर्व मंत्री ने कहा कि बिरसा मुंडा केवल आदिवासियों के नहीं, बल्कि पूरे देश के प्रेरणास्त्रोत हैं।
उन्होंने कहा कि उनके विचारों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कर उनके जीवन से बच्चों को परिचित कराना जरूरी है। उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए अंग्रेजों के खिलाफ जो आंदोलन छेड़ा, वह सिर्फ एक विद्रोह नहीं बल्कि एक चेतना, एक क्रांति थी। उलगुलान के नाम से प्रसिद्ध इस आंदोलन ने आदिवासी समाज में जागरूकता की नई लहर पैदा की। बिरसा मुंडा ने कम उम्र में ही यह साबित कर दिया था कि सच्चा संघर्ष उम्र नहीं, संकल्प देखता है। पूर्व मंत्री ने कहा कि बिरसा मुंडा के अदम्य साहस और संघर्ष से अंग्रेजी सरकार इतनी घबरा गई थी कि उन्हें पकड़वाने के लिए 500 रुपये का इनाम घोषित किया गया था जो उस समय एक बड़ी राशि मानी जाती थी। इतना ही नहीं अंग्रेजों ने उन्हें कैद कर यातनाएं दीं। अंततः रांची जेल में रहस्यमई परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई। उसके बाद भी उनका विचार, उनका संघर्ष आज भी जीवित है और झारखंड की आत्मा में बसता है। उन्होंने कहा कि झारखंड की वर्तमान सरकार बिरसा मुंडा के सपनों को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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