रोहिणी नक्षत्र समाप्ति के बाद भी बारिश के अभाव में शुरू नहीं हो सकी खेती
फोटो संख्या एक: बारिश नहीं होने से खाली पड़े खेत रोहिणी नक्षत्र रविवार को समाप्त हो गया। यह 25 मई से शुरू हुआ था। रोहिणी नक्षत्र समाप्त होने के बाद भी

गढ़वा, प्रतिनिधि। रोहिणी नक्षत्र रविवार को समाप्त हो गया। यह 25 मई से शुरू हुआ था। रोहिणी नक्षत्र समाप्त होने के बाद भी बारिश के अभाव में धान की खेती शुरू नहीं हुआ है। यहां तक कि धान के खेतों को भी अभी तैयार नहीं किया जा सका है। आम तौर पर रोहिणी नक्षत्र को कृषि कार्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। खरीफ फसल की तैयारी के लिए किसान लग जाते हैं। बारिश नहीं होने के कारण खेत बंजर पड़े हैं। कृषि विभाग के अनुसार राज्य में पहले ही मानसून आने की सूचना के साथ ही कृषि विभाग धान, मक्का सहित खरीफ फसलों के बीज का बुआई के लिए तैयारी शुरू कर दी है।
धान, मक्का सहित अन्य खरीफ फसलों के बीज का बुआई के लिए प्रखंडों से लक्ष्य मांगा गया है। जिला कृषि पदाधिकारी शिवशंकर प्रसाद ने सभी प्रखंडों के प्रखंड कृषि पदाधिकारी को खरीफ फसलों का लक्ष्य प्रपत्र भेजकर रिपोर्ट मांगा। उसके बाद लक्ष्य के अनुरूप प्रखंडों में बीज का आवंटन शुरू कर दिय ागया है। जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि जिले में पिछले वर्ष 55 हजार हेक्टेयर में धान का फसल की रोपनी हुई थी। इस वर्ष पुराने लक्ष्य को घटाने, बढ़ाने या बरकरार रखने के लिए सभी प्रखंडों से रिपोर्ट मांगी गई है। पिछले वर्ष गढ़वा प्रखंड में धान का फसल 5360, डंडा में 1775, मेराल में 5590, डंडई में 2535, नगर ऊंटारी 4505, रमना में 5095, विशुनपुरा में 1385, भवनाथपुर में 3268, केतार 2262, खरौंधी में 2395, रंका में 3750, रमकंडा में 2070, चिनियां में 2285, मझिआंव में 2670, बरडीहा में 1420, कांडी में 3445, धुरकी में 2215, सगमा में 1375, भंडरिया में 2343 और बड़गड़ में 1257 हेक्टेयर में लक्ष्य निर्धारित था। उक्त लक्ष्य के अनुरूप शत-प्रतिशत धान का रोपा भी हुआ था। उसी तरह पिछले वर्ष जिले में 27 हजार दो सौ हेक्टेयर में मक्का का फसल करने का लक्ष्य निर्धारित था। उसमें गढ़वा में मक्का का फसल 2595, डंडा में 755, मेराल में 2660, डंडई में 1335, नगर ऊंटारी में 2190, रमना में 1510, विशुनपुरा में 705, भवनाथपुर में 1540, केतार में 1100, खरौंधी में 1210, रंका में 1850, रमकंडा में 1085, चिनियां में 1225, मझिआंव में 1595, बरडीहा में 1170, कांडी में 1235, धुरकी में 1095, सगमा में 700, भंडरिया में 1145 और 500 हेक्टेयर में मक्का का फसल लगाया गया था।
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