गालूडीह साप्ताहिक हाट बदहाली के दौर में, सुविधाओं के अभाव में खतरे में व्यापारी और ग्राहक
गालूडीह का साप्ताहिक हाट वर्षों पुराना पारंपरिक बाजार है, जो अब अत्यंत दयनीय स्थिति में है। यहां किसानों और व्यापारियों के लिए आवश्यक सुविधाओं का अभाव है। प्रशासन की अनदेखी के कारण कचरा जमा हो रहा है...
गालूडीह।गालूडीह का सोमवार साप्ताहिक हाट वर्षों पुराना पारंपरिक बाजार है, जो कभी विशाल क्षेत्र में लगता था, लेकिन आज यह हाट लगातार सिमटता जा रहा है। वर्तमान में इस हाट की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। हाट में किसानों और व्यापारियों के लिए बुनियादी सुविधाओं का भारी अभाव है। न तो धूप से बचने के लिए शेड की व्यवस्था है और न ही बारिश में सिर छिपाने की जगह।हर सप्ताह इस हाट में 10-15 किलोमीटर दूर से किसान और व्यापारी अपनी उपज व सामान बेचने आते हैं, वहीं ग्राहकों की भीड़ भी दूर-दूर से पहुंचती है। बावजूद इसके, बाजार की ओर न तो प्रशासन का ध्यान है और न ही जनप्रतिनिधियों का।हाट
क्षेत्र में फैला कचरा सप्ताह दर सप्ताह जमा होता जा रहा है, लेकिन उसकी सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। पुराने समय में बनाए गए टीन शेड और हाट भवन अब पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। दुकानदार उसी जर्जर भवन के नीचे दुकान लगाने को मजबूर हैं, जो आंधी-तूफान में कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है।सुरक्षा और सुविधा के लिहाज से भी स्थिति गंभीर है। हाट में अब किसी प्रकार की लाइट की व्यवस्था नहीं है। पहले लगी स्ट्रीट लाइटें आंधी में गिर चुकी हैं, लेकिन उन्हें आज तक दोबारा नहीं लगाया गया।स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने प्रशासन से मांग की है कि गालूडीह हाट में तत्काल सफाई, शेड निर्माण, लाइट व्यवस्था और जर्जर भवन को हटाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि यह ऐतिहासिक बाजार फिर से जीवंत हो सके और हादसों से बचा जा सके।
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