क्या है नॉन कॉन्टैक्ट वॉर, जिसकी बात कर रहे सीडीएस अनिल चौहान; बोले- भविष्य यही
आकाश मिसाइल सिस्टम जैसे परंपरागत हथियार के जरिए अपना बचाव किया। इसके अलावा विदेश और देसी राडार सिस्टम की भी मदद ली गई। उन्होंने कहा कि भविष्य की जंग जटिल होने वाली है। इसके तहत जल, थल और वायु में तो लड़ाई होगी ही, इसके अलावा रणनीति, हाइब्रिड वारफेयर, प्रोपेगेंडा जैसी चीजें भी इसका हिस्सा होंगी।

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान कहा है कि भविष्य में नॉन कॉन्टैक्ट वॉर ही प्रमुखता से होंगे। उन्होंने कहा कि अब आने वाला समय ऐसा ही है, जिसमें सेनाएं आमने सामने नहीं होंगी और जंग भी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने आकाश मिसाइल सिस्टम जैसे परंपरागत हथियार के जरिए अपना बचाव किया। इसके अलावा विदेश और देसी राडार सिस्टम की भी मदद ली गई। उन्होंने कहा कि भविष्य की जंग जटिल होने वाली है। इसके तहत जल, थल और वायु में तो लड़ाई होगी ही, इसके अलावा रणनीति, हाइब्रिड वारफेयर, प्रोपेगेंडा जैसी चीजें भी इसका हिस्सा होंगी।
उन्होंने कहा कि ऐसे में हमें मॉडर्न वारफेयर को भी समझना होगा। उन्होंने कहा कि नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर के बारे में भी हमें बात करनी होगी। इसके अलावा साइबर वारफेयर पर भी उन्होंने बात की। सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि इसकी भूमिका सीमित है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान साइबर अटैक की भी कोशिशें हुईं, लेकिन मोटे तौर पर कोई असर नहीं हुआ। इसके अलावा हमारी वायुसेना और उसकी तकनीक इतनी मजबूत थी कि हमारे ऊपर पाकिस्तान की ओर से किए जाने वाले हवाई हमलों का कोई असर नहीं हुआ।
दरअसल भविष्य की जंगों को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी, डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह लगातार बात करते रहे हैं। वहीं देश के पहले सीडीएस दिवंगत जनरल बिपिन रावत भी इस पर काफी बात करते थे। उन्होंने तो ढाई मोर्चे की जंग एक थ्योरी भी दी थी। उनका कहना था कि चीन हमारे लिए पहला खतरा है और दूसरा खतरा पाकिस्तान है। इसके बाद आधा मोर्चा देश की आंतरिक सुरक्षा है। दरअसल बीते कुछ सालों में युद्ध की प्रकृति में बड़ा बदलाव आया है। अब हाइब्रिड वारफेयर का इस्तेमाल बढ़ा है।
हाइब्रिड वारफेयर की परिभाषा यह है कि इसके तहत परंपरागत युद्ध रणनीतियों और हथियारों के साथ ही नए जमाने की तकनीक, सूचना, साइबर वारफेयर का भी इस्तेमाल होता है। इसी का एक नाम नॉन कॉन्टैक्ट वारफेयर भी है, जिसका जिक्र चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने किया है।
क्या है नॉन-कॉन्टैक्ट वारफेयर
नॉन-कॉन्टैक्ट वारफेयर (Non-Contact Warfare) एक आधुनिक युद्ध की रणनीति है जिसमें दुश्मन के साथ प्रत्यक्ष शारीरिक संपर्क में आए बिना उसे नुकसान पहुँचाया जाता है या युद्ध लड़ा जाता है। इसमें पारंपरिक युद्ध (जैसे आमने-सामने की लड़ाई) के बजाय आधुनिक तकनीकों, साइबर साधनों, और दूर से संचालित हथियारों का प्रयोग होता है।
नॉन कॉन्टैक्ट वारफेयर की विशेषताएं-
प्रत्यक्ष टकराव नहीं होता– सैनिक आमने-सामने नहीं लड़ते।
तकनीकी साधनों का प्रयोग– जैसे ड्रोन, मिसाइलें, साइबर अटैक आदि।
साइकोलॉजिकल वॉरफेयर– अफवाहें, झूठी खबरें फैलाकर मानसिक दबाव डालना।
साइबर वॉरफेयर– दुश्मन के संचार तंत्र, नेटवर्क या इंफ्रास्ट्रक्चर को हैक या डिसेबल करना।
इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर– रडार, जीपीएस, या अन्य सिग्नलों को बाधित करना।
इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर– सूचना के नियंत्रण और प्रचार से प्रभाव डालना।
इस नई जंग के कुछ उदाहरण
ड्रोन से हमला– जैसे अमेरिका द्वारा पाकिस्तान या अफगानिस्तान में आतंकियों पर ड्रोन स्ट्राइक।
साइबर अटैक– रूस पर आरोप है कि वह अन्य देशों के चुनावों में साइबर माध्यम से हस्तक्षेप करता है।
इन्फॉर्मेशन ऑपरेशंस– सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट्स से नफरत या भ्रम फैलाना।
क्या हैं ऐसी जंग के फायदे
-अपने सैनिकों की जान को जोखिम में डाले बिना दुश्मन को नुकसान पहुँचना।
-युद्ध को अधिक सटीक और लक्षित बनाना।
इसकी कुछ चुनौतियां
-नैतिक और कानूनी सवाल उठते हैं।
-कभी-कभी आम नागरिकों पर भी असर पड़ सकता है (जैसे साइबर अटैक से बिजली व्यवस्था ठप होना)।
-अगर आप चाहें तो मैं इसका हिंदी निबंध या विश्लेषणात्मक लेख भी तैयार कर सकता हूं।