सादे समारोह का आयोजन कर वैज्ञानिकों की पूण्य तिथि पर दी गई श्रद्वांजलि
घाटशिला कॉलेज के फिजिक्स डिपार्टमेंट ने महान खोगल वैज्ञानिकों प्रोफेसर जयंत नारलीकर, प्रोफेसर एम.आर श्रीनिवासन और प्रोफेसर सरोज घोष की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। इस अवसर पर...
घाटशिला। घाटशिला कॉलेज घाटशिला के फिजिक्स डिपार्टमेंट के द्वारा महान खोगल वैज्ञानिक की पूण्य तिथि पर उन्हे श्रद्वांजलि देने को लेकर एक सभा का आयोजन किया गया। जिसमें महान खोगल वैज्ञानिक प्रोफेसर जयंत नारलीकर (देहांत 20 मई), न्यूक्लियर वैज्ञानिक प्रोफेसर एम.आर श्रीनिवासन (देहांत 20 मई) एवं प्रोफेसर सरोज घोष (देहांत 17 मई) शामिल है। तीनों वैज्ञानिकों को ही भारत सरकार के द्वारा पद्मश्री एवं पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। सर्वप्रथम वैज्ञानिकों के तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए गए तत्पश्चात राजनीतिक विज्ञान के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर इंदल पासवान ने संक्षिप्त में प्रोफेसर नर्लेकर का जीवन परिचय देते हुए कहा कि खगोल विज्ञान को काफी सहज सरल भाषा में जनमानस तक पहुंचाने का काम किया है।
इसके पश्चात फिजिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ कन्हाई बारिक ने अपने संबोधन में बताया कि प्रोफेसर एम.आर श्रीनिवासन हमारे देश के न्यूक्लियर प्रोग्राम के जाने वाले वैज्ञानिक थे। न्यूक्लियर ऊर्जा में उनका बहुत बड़ा योगदान है। यह भारत के लिए एक बड़ा हानि है। उसके बाद उन्होंने प्रोफेसर सरोज घोष की मृत्यु के पहले उनके द्वारा लिखी गई चिट्ठी को सभी के सामने पढ़कर सुनाएं जिसमें सरोज घोष ने लिखा था। मैं नहीं मानता हूं कि करने के बाद दूसरा जन्म होता है और ना ही आत्मा का अस्तित्व है। मेरे मरने के बाद मेरे शरीर को मेडिकल स्टूडेंट के रिसर्च के लिए दे दिया जाए और मैं किसी भी तरह के रीति रिवाज से भरा हुआ क्रिया कर्म नहीं चाहता हूं। सभा में मुख्य रूप से डॉ संदीप चंद्रा, डॉ दिलचंद राम, डॉ एस पी सिंह, डॉ राम चिक विनय, प्रोफेसर मोहम्मद सज्जाद, प्रोफेसर पूंजीसा बेदी, प्रोफेसर बिकास मुंडा, प्रोफेसर मानिक मार्डी, प्रोफेसर शंकर माहाली, मिस्टर शाहिद इकबाल, मिस्टर समीर कुमार के साथ-साथ सैकड़ो बच्चे मौजूद थे।
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