पीएलएफआई के प्रभाव क्षेत्र रहे रेड़वा में आई मधु क्रांति
उग्रवाद के अंधेरे से निकल कर मधुमक्खी पालन से रोशन हुआ जीवन उग्रवाद के अंधेरे से निकल कर मधुमक्खी पालन से रोशन हुआ जीवन उग्रवाद के अंधेरे से निकल कर

कामडारा शहाब अली एक समय पीएलएफआई उग्रवादियों का गढ़ रहे गुमला जिले के कामडारा प्रखंड स्थित रेड़वा गांव अब शांति और विकास की नई मिसाल बन रहा है। जहां पहले जंगल,गोलीबारी और डर का माहौल था,वहीं अब मधुमक्खियों की गुनगुनाहट और आदिम जनजाति की महिलाओं की मेहनत की मिठास बिखर रही है।रेड़वा गांव की पहचान अब मधुमक्खी पालन और शुद्ध मधु उत्पादन से बन रही है। केंद्र सरकार की नेशनल बी कीपिंग हनी मिशन योजना, उद्यान विभाग गुमला और गैर-सरकारी संस्था प्रदान के संयुक्त प्रयासों से गांव की तस्वीर बदल रही है। मार्च 2025 में रेड़वा पंचायत भवन में 25 महिलाओं को एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया गया।
जिनमें 21 महिलाएं आदिम जनजातियों से हैं। प्रशिक्षण के बाद उन्हें 15 मधुमक्खी बक्से,मास्क,दस्ताने और अन्य जरूरी उपकरण नि:शुल्क उपलब्ध कराए गए।इन महिलाओं ने मधु उत्पादक समिति रेड़वा गंझू टोली बनाकर मधुमक्खी पालन की शुरुआत की। शुरूआती दौर में मधुमक्खी के छत्तों की चोरी और भालुओं के हमले जैसी चुनौतियां भी सामने आईं,लेकिन महिलाओं ने हार नहीं मानी। आज उनके बक्सों से झारखंड का शुद्ध मधु निकल रहा है। जिसे वे आपस में बांट रही हैं। जल्द ही इस मधु का पैकिंग कर बाजार में बिक्री शुरू की जाएगी। जिला उद्यान पदाधिकारी तमन्ना परवीन और प्रदान संस्था के सहयोग से यह पहल सफल हो सकी। पहली बार भारत सरकार की योजना का लाभ मिलने से ममता सुरीन,अनिशा देवी, फुलसुंदरी बिरहोर, सविता देवी और बिरसमनी देवी जैसी महिलाओं के चेहरों पर नई उम्मीद की चमक दिख रही है। अब विभाग रेड़वा के अलावा प्रखंड के अन्य गांवों में भी मधुमक्खी पालन शुरू कराने की योजना बना रहा है। जिससे ग्रामीणों को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जा सके।
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