Water Supply Crisis in Sariya Municipality Residents Suffer Despite Tax Hike अपनी व्यवस्था से प्यास बुझा रहे हैं सरिया वासी, Gridih Hindi News - Hindustan
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अपनी व्यवस्था से प्यास बुझा रहे हैं सरिया वासी

सरिया नगर पंचायत के गठन के बाद से नागरिकों को जल आपूर्ति की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 2021 में बने इस नगर पंचायत में न महिलाओं के लिए शौचालय है और न ही जल आपूर्ति। अधिकारियों द्वारा केवल आश्वासन...

Newswrap हिन्दुस्तान, गिरडीहTue, 27 May 2025 05:32 AM
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अपनी व्यवस्था से प्यास बुझा रहे हैं सरिया वासी

सरिया, प्रतिनिधि। सरिया की नगर पंचायत नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली कहावत चरितार्थ करती है। लोगों को भरोसा था कि नगर पंचायत का गठन होने के बाद सारी सुविधाएं उपलब्ध होगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। सरिया बाजार की हालत एक पंचायत से बदतर हो गई है। 2021 में गठित हुई नगर पंचायत से अब तक न ही वाटर सप्लाई न ही महिलाओं के लिए बाजार में शौचालय की व्यवस्था की जा सकी है। जबकि जब नगर पंचायत नहीं बना था तो यहां सप्लाई पानी घर-घर में आता था लेकिन नगर पंचायत बनने के बाद वह भी बंद है। नगर पंचायत के अधिकारियों द्वारा आश्वासन की घूंट कई वर्षों से पिलाई जा रही है।

लोग अपनी व्यवस्था से प्यास बुझा रहे हैं। इस गर्मी में सरियावासियों की प्यास कैसे बुझेगी, इसकी चिंता नगर पंचायत के अधिकारियों को नहीं है। बतला दें कि पूरे नगर पंचायत की आबादी लगभग 15 हजार की है। 2020-21 में सरिया नगर पंचायत का गठन हुआ। उसके बाद पंचायत से वाटर सप्लाई योजना नगर पंचायत को सौंप दिया गया तब से अब 2025 तक एक भी बूंद पानी सरिया के लोगों को नहीं मिला है। 2024 में पूरे तामझाम के साथ वाटर सप्लाई के लिए 46 करोड़ की योजना का शिलान्यास किया गया था। लेकिन तब से अब तक मामला अधर में लटका हुआ है। अब आप इसे विभाग की लापरवाही कहिए या नप वासियों की सहनशक्ति की अब तक यानी गठन के 04 वर्षों के बाद भी नप क्षेत्र में महिलाओं के लिए एक शौचालय तक नहीं है। स्पष्ट दिखता है कि नप गठन के बाद पह वर्ष 20 लाख सालाना की होल्डिंग टैक्स की वसूली हुई। यह अब बढ़कर करीब 50 लाख तक पहुंच गई है। इस टैक्स को सुविधा शुल्क कहा जाता है लेकिन सुविधा के नाम पर सप्ताह में दो या तीन दिन बाजार में झाड़ू लगाकर कचरा उठाया जाता है। घरों और सार्वजनिक स्थलों तक पीने का पानी कैसे शीघ्र पहुंचे इसकी चिंता अधिकारियों को ऐसा लगता है नहीं है। नपं के एक-दो अधिकारी झारखंड नपं अधिनियम का धौंस जमाते हुए बैंक खाता सीज कराने की धमकी देकर सुविधा शुल्क की वसूली करने में लगे हैं जिससे लोगों में काफी आक्रोश है।

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