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सरकार की सख्ती: खाद्य तेलों की पैकेजिंग नियमों में ढील का फायदा नहीं उठा पाएंगी कंपनियां

अब सरकार 500 ग्राम, एक किलो, दो किलो और पांच किलो जैसे पारंपरिक पैकिंग साइज को फिर से अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। इससे कीमतों में हेरफेर को रोका जा सकेगा।

Drigraj Madheshia मिंटThu, 29 May 2025 07:02 AM
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सरकार की सख्ती: खाद्य तेलों की पैकेजिंग नियमों में ढील का फायदा नहीं उठा पाएंगी कंपनियां

सरकार जल्द ही खाद्य तेलों के लिए स्टैंडर्ड पैक साइज फिर से लागू करने की योजना बना रही है। वर्ष 2022 में पैकेजिंग नियमों में ढील दिए जाने के बाद व्यापारियों ने ग्राहकों को कम मात्रा देकर अधिक कीमत वसूलनी शुरू कर दी थी, जिसके बाद यह कदम उठाया जा रहा है। मामले से जुड़े दो लोगों ने यह जानकारी दी।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, 2022 में कानूनी मापविज्ञान (पैकेज्ड वस्तुएं) नियमों में बदलाव कर खाद्य तेलों की पैकिंग में लचीलापन दिया गया था। इसके बाद बाजार में 800 ग्राम, 810 ग्राम या 850 ग्राम जैसे अनियमित साइज के पैक बिकने लगे, जिन्हें एक किलो के पैक के रूप में बेचा गया। व्यापारी इन कम मात्रा वाले पैक के लिए एक किलो की पूरी कीमत वसूल रहे थे। इसे अनुचित और धोखाधड़ी भरा माना गया, क्योंकि इससे ग्राहकों का भरोसा टूट रहा था।

क्या है नई योजना

इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि अब सरकार 500 ग्राम, एक किलो, दो किलो और पांच किलो जैसे पारंपरिक पैकिंग साइ को फिर से अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। इससे कीमतों में हेरफेर को रोका जा सकेगा। अधिकारी ने कहा कि हमें शिकायतें मिली हैं कि तेल के पैक की कीमत और वजन में अंतर की वजह से अनुचित व्यापार हो रहा है। 800 ग्राम के पैक की कीमत समझना ग्राहकों के लिए मुश्किल है, लेकिन दो किलो या 500 ग्राम का मानक पैक समझना आसान है।

उपभोक्ताओं से भ्रम हटेगा

मामले से जुड़े अन्य अधिकारी ने बताया कि बाजार में ऐसे असामान्य पैक साइज के कारण उपभोक्ताओं में भ्रम की स्थिति बन गई है। इससे निपटने के लिए सरकार पैकेजिंग नियमों की समीक्षा कर रही है। हितधारकों के साथ सलाह के बाद पुराने मानक पैक साइज को फिर से लागू किया जा सकता है। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। इस संबंध में सभी संबंधित पक्षों से सुझाव भी मांगे गए हैं।

देश में लगातार बढ़ रही खपत

भारत में खाने के तेल की खपत लगातार बढ़ रही है। 2020-21 में यह 24.6 मिलियन टन थी, जो 2021-22 में बढ़कर 25.8 मिलियन टन और 2022-23 में 28.9 मिलियन टन हो गई।

तेल की कीमतों में तेज बढ़ोतरी

- सरसों तेल: ₹170.66 प्रति किलोग्राम (पिछले वर्ष ₹135.50)

- सोया तेल: ₹147.04 प्रति किलोग्राम (पिछले वर्ष ₹123.61)

- सूरजमुखी तेल: ₹160.77 प्रति किलोग्राम (पिछले वर्ष ₹123.17)

- पाम तेल: ₹135.04 प्रति किलोग्राम (पिछले वर्ष ₹101)

- वनस्पति: ₹154.71 प्रति किलोग्राम (पिछले वर्ष ₹126.40)

- मूंगफली तेल: ₹188.82 प्रति किलोग्राम (लगभग स्थिर)

(20 मई 2025 को उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार)

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