Jharkhand rss leader murder mystery solved hizb ut tahrir terrorist organization was behind it know full details जानिए कौन है आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर, जिसने रची थी RSS नेता के हत्या की साजिश, Jharkhand Hindi News - Hindustan
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जानिए कौन है आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर, जिसने रची थी RSS नेता के हत्या की साजिश

इंडियन मुजाहिदीन छोड़ हिज्ब में शामिल हुए अम्मार याशर ने ही पूरी साजिश रची थी। जांच में पता चला कि इंडियन मुजाहिदीन के केस में 10 साल जेल में रहने के बाद छूटे याशर के संपर्क संदिग्ध आतंकियों से रहे थे। उसने ही धनबाद के युवक-युवती को संगठन से जोड़ा था।

Utkarsh Gaharwar हिन्दुस्तान, रांचीThu, 15 May 2025 07:33 AM
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जानिए कौन है आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर, जिसने रची थी RSS नेता के हत्या की साजिश

झारखंड में प्रतिबंधित आंतकी संगठन हिज्ब उत तहरीर (HUT) द्वारा आरएसएस या किसी दक्षिणपंथी नेता की हत्या की साजिश रची गई थी। हत्या का मकसद संगठन द्वारा राज्य में विवाद उत्पन करना व प्रभाव स्थापित करना था। हालांकि हत्या के पूर्व ही संगठन से जुड़े सारे लोगों की गिरफ्तारी हो गई। हत्याकांड अंजाम देने के लिए संदिग्ध आतंकियों ने हथियार भी खरीदे थे। धनबाद से गिरफ्तार चार संदिग्धों व बाद में गिरफ्तार इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े रहे अम्मार याशर की गिरफ्तारी के बाद मोबाइल चैट व बरामद तकनीकी साक्ष्यों से इस बात की पुष्टि हुई है। डार्क वेब का इस्तेमाल कर भी आतंकी संगठन का विस्तार कर रहे थे।

याशर ने रची थी पूरी साजिश

इंडियन मुजाहिदीन छोड़ हिज्ब में शामिल हुए अम्मार याशर ने ही पूरी साजिश रची थी। जांच में पता चला कि इंडियन मुजाहिदीन के केस में 10 साल जेल में रहने के बाद छूटे याशर के संपर्क संदिग्ध आतंकियों से रहे थे। उसने ही धनबाद के युवक-युवती को संगठन से जोड़ा था। हालांकि किसी और संदिग्ध को जोड़ पाता,इससे पहले ही सभी की गिरफ्तारी हो गई। पटना के गांधी मैदान ब्लास्ट के बाद देश भर में फैले इंडियन मुजाहिदीन के नेटवर्क पर दबिश डालने की शुरूआत हुई। तब मार्च 2014 में पहली बार अम्मार याशर एजेंसियों के हत्थे चढ़ा था।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसे शाहिनबाग से हिरासत में लिया था। लेकिन तब स्थानीय लोगों के विरोध व राजनीतिक दबाव में उसे छोड़ दिया गया था। मई 2014 में उसकी गिरफ्तारी शेरघाटी से राजस्थान एटीएस ने की थी। धनबाद निवासी अम्मार याशर तब जयपुर में इंजीनियरिंग कर रहा था। इसी दौरान वह इंडियन मुजाहिदीन के नेताओं के संपर्क में आकर संगठन में शामिल हो गया था। जयपुर के एसओजी,लालकोटी और जोधपुर के प्रतापनगर थाने में उस पर केस दर्ज हुआ था। इन मामलों में वह 10 साल जेल में रहा। मई 2024 में उसे जमानत मिली थी। जमानत पर छूटने के बाद वह इंडियन मुजाहिदीन छोड़कर हिज्ब उत तहरीर में शामिल हो गया था। जेल से छूटने पर वह राजस्थान में ही रह रहा था।

पैसों के लेनदेन के साक्ष्य

याशर के साथ एटीएस ने धनबाद से गुलफाम हसन,अयान जावेद,मो.शहजाद व आयान की पत्नी शबनम परवीन को गिरफ्तार किया था। सभी के मोबाइल चैट खंगाले। इसमें ही आरएसएस से जुड़े किसी हिंदूवादी नेता की हत्या की साजिश का खुलासा हुआ। हत्या के लिए हथियार खरीदने को मुंगेर जाने व व्हाट्सएप पर हथियारों की तस्वीर के आदान-प्रदान के चैट भी मिले। हथियार खरीदने के लिए पैसे जुगाड़ने के साक्ष्य भी मिले हैं।