जहां हुई मुठभेड़ वहीं है नक्सली मनीष का ससुराल
लातेहार में माओवादी नक्सली मनीष यादव की पुलिस के साथ मुठभेड़ में मौत हो गई। मनीष, जो 14 पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी था, बिहार के गया का निवासी था। उसकी मौत के बाद बूढ़ा पहाड़ इलाके में बिहारी...

लातेहार। मनीष यादव मूल रूप से बिहार के गया जिला का रहने वाला है लेकिन उसने शादी दौना गांव के आसपास ही की है। मनीष पिछले 10 वर्षों से बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र के आसपास रह रहा है। मनीष यादव बूढ़ा पहाड़ से लेकर बिहार के छकरबंधा कॉरिडोर का सबसे बड़ा कुरियर था। सूत्रों की माने तो इन दोनों नक्सलियों के बाद वर्तमान समय में बूढ़ा पहाड़ इलाके में सिर्फ मृत्युंजय भुइयां ही एक बड़ा नाम बचा है, क्योंकि कुछ माह पहले ही नक्सलियों ने ही अपने बड़े नेता छोटू खरवार की हत्या कर दी थी। वही पूरे जिले भर की बात करें तो मृत्युंजय भुइयां के अलावा बड़े माओवादी नेता में मनोहर जी और रविंद्र गंझु है।
रविंद्र गंझु का संगठन में पकड़ ढीली हो गयी है जबकि मनोहर नक्सली घटनाओं को अब भी अंजाम दे रहा है। बूढ़ा पहाड़ से बिहारी वर्चस्व खत्म झारखंड छत्तीसगढ़ सीमावर्ती पर स्थित बूढ़ा पहाड़ का जंगल जो कभी नक्सलियों के लिए ट्रेनिंग सेंटर हुआ करता था। नक्सलियों के बड़े-बड़े नेता इसी क्षेत्र में रहा करते थे। अरविंद जी से लेकर सुधाकरण तक इसी क्षेत्र में रहें। पिछले तीन दशकों से बूढ़ा पहाड़ में बिहारी कैडर के नक्सलियों का बोलबाला रहा, एक करोड़ इनामी नक्सली अरविंद जी के बॉडीगार्ड के रूप में आया मनीष वर्तमान समय में बूढ़ा पहाड़ इलाका में सब जोनल कमांडर बनकर नक्सली वारदात को अंजाम दे रहा था। मनीष के मारे जाने के बाद बूढ़ा पहाड़ से बिहार मूल के नक्सलियों का खत्म हो गया। मनीष से पहले इस क्षेत्र में बिहार के मिथिलेश मेहता, विमल यादव, नवीन यादव और सौरभ उर्फ़ मारकस बाबा बूढ़ा पहाड़ का इंचार्ज रहा है। जिला में मारे जा रहें है टॉप नक्सली हाल के दिनों में लातेहार पुलिस और सुरक्षा बल संयुक्त अभियान चलाकर नक्सलियों की कमर तोड़ने में लगे हुए हैं। एक के बाद एक नक्सलियों के टॉप नेता मारे जा रहे हैं। वही दूसरी ओर कई बड़े नक्सली और उग्रवादी गिरफ्तार हुए हैं। बहुत से उग्रवादियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण भी किया है। कुल मिलाकर कहा जाए तो पिछले दो वर्षों में लातेहार जिला में नक्सलियों की कमर टूट गई है। नक्सलियों से मुख्यधारा में शामिल हो आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाने की पुलिस की अपील पलामू जोनल आईजी वाईएस रमेश ने नक्सलियों से मुख्यधारा में शामिल हो सरकार की आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाने की अपील की है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि नक्सली अविलंब आत्मसमर्पण कर या तो सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं या फिर गोली खाने के लिए तैयार रहें। वहीं आईजी ने नक्सल विरोधी अभियान को आगे भी जारी रहने की बात बताई। पुलिस-नक्सली मुठभेड़ से आसपास के लोगों में दहशत महुआडांड़ थाना क्षेत्र के करमखाड़ और दौना इलाके में बीती रात पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ से आसपास के लोगों में दहशत का माहौल कायम है। अभियान ऑक्टोपस के बाद माओवादी संगठन की टूटी कमर बूढ़ापहाड़ पर अभियान ऑक्टोपस के बाद माओवादी संगठन की कमर लगभग टूट गई थी। हालांकि माओवादी संगठन की कमान छोटू खरवार ने संभाली थी। छोटू खरवार के नेतृत्व में माओवादी गुमला, लोहरदगा और लातेहार के इलाके में सक्रिय थे। छोटू खरवार माओवादियों का कोयल और शंख जोन का इंचार्ज था। परंतु छोटू खरवार के मारे जाने के बाद कुंदन खरवार और मनीष यादव ही संगठन का कमान संभाल रहे थे। उन्होने कहा कि कुंदन खरवार के गिरफ्तार होने एवं मनीष यादव के मारे जाने के बाद यहां माओवादी काफी कमजोर हुए हैं। 14 पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी था मनीष लातेहार। जिस माओवादी नक्सली मनीष यादव को लातेहार पुलिस ने मुठभेड़ में ढेर किया है, वह 14 पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी था। मुठभेड़ के बाद सोमवार को पलामू आईजी सुनील भास्कर, डीआईजी वाईएस रमेश, एसपी कुमार गौरव ने संयुक्त रूप से प्रेस वार्ता किया। अधिकारियों ने इस दौरान बताया कि मुठभेड़ में मारा गया नक्सली मनीष यादव वर्ष 2013 में कटिया जंगल में पुलिस पर हमला करने का अभियुक्त था। इस घटना में 10 सुरक्षा बल के जवानों की मौत हो गई थी। वहीं चंदवा थाना क्षेत्र में पुलिस बल पर हमला कर चार पुलिसकर्मियों की हत्याकांड में भी मनीष यादव और गिरफ्तार कुंदन खरवार शामिल था। दरअसल, रविवार की रात लातेहार जिले के दौना गांव के पास हुई पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में नक्सली मनीष यादव मारा गया। जबकि 10 लाख का इनामी माओवादी जोनल कमांडर कुंदन खरवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आईजी सुनील भास्कर ने कहा कि नक्सलियों की गतिविधियों पर पुलिस अपनी निगाह बनाए हुई थी। रविवार को मिली सटीक सूचना पर लातेहार एसपी के द्वारा सही समय पर कार्रवाई की गई, जिसमें पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल की। सुरक्षाबलों से लूटा गया हथियार बरामद इधर, प्रेस वार्ता में एसपी कुमार गौरव ने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि नक्सलियों का दस्ता कुंदन खरवार और मनीष यादव के नेतृत्व में नीचे दौना गांव के पास आया हुआ है। सूचना के बाद पुलिस की टीम ने इलाके की घेराबंदी आरंभ कर दी। रात 1:30 बजे के करीब नक्सलियों को भनक लगी कि पुलिस की टीम वहां पहुंच गई है तो नक्सली फायरिंग करते हुए भागने लगे। जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की पुलिस को चकमा देकर भाग रहे कुंदन खरवार को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पुलिस की सहायता के लिए अन्य सुरक्षाबलों को भी भेजा गया। सोमवार की सुबह जब सर्च अभियान चलाया गया तो नक्सली मनीष यादव का शव बरामद हुआ। उन्होंने बताया कि नक्सलियों के पास से दो एक्स 95 राइफल भी बरामद किया गया है जो सुरक्षा बलों से 2013 में लूटा गया था। उन्होंने बताया कि पूरे इलाके में पुलिस के द्वारा सर्च अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब जो भी नक्सली बचे हैं, उनके पास एक ही रास्ता है कि अब पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दें और अपनी बची हुई जिंदगी अपने परिवार के साथ खुशहाली में बीताएं. नहीं तो पुलिस के द्वारा अब इसी प्रकार की कार्रवाई की जाएगी।
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