लाखों बेरोजगार शिक्षित युवाओं के साथ सरकार कर रही बड़ा मज़ाक-योगेंद्र प्रसाद
झारखंड सरकार द्वारा टीजीटी और पीजीटी संवर्ग के पदों को समाप्त करने के निर्णय पर झारखंड प्लस टू शिक्षक संघ ने विरोध जताया है। संघ के अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद ठाकुर ने इसे छात्रों के भविष्य और बेरोजगार...

लोहरदगा, संवाददाता। झारखंड सरकार द्वारा टीजीटी एवं पीजीटी संवर्ग को समाप्त करने के निर्णय पर झारखंड प्लस टू शिक्षक संघ ने विरोध जताया है। संघ के प्रांतीय अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद ठाकुर ने कहा है कि यह सरकार का नीतिगत निर्णय नहीं, बल्कि सरकारी विद्यालय के विद्यार्थियों के भविष्य एवं लाखों बेरोजगार शिक्षित युवाओं के साथ सरकार का सबसे बड़ा मज़ाक है।
संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी समिति की बैठक में जिला अध्यक्षों ने बताया कि इस निर्णय के विरुद्ध सभी शिक्षक आक्रोशित हैं एवं आंदोलन के लिए तैयार हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि अब झारखंड की शिक्षा व्यवस्था को चौपट करना चाहती है। सरकार पहली बार जब सत्ता में आई थी तो झारखंड के वीर शहीद निर्मल महतो के समाधि स्थल से लाखों युवाओं को नौकरी देने का वादा किया था। लेकिन, सच्चाई अब सामने आ रही है कि सरकार को आठ हजार नौ सौ शिक्षकों के पद समाप्त करने पड़ रहे हैं। इतना ही नहीं कई स्कूलों से शहीदों का नाम हटाकर सीएम स्कूल ऑफ़ एक्सीलेंस रखा गया। अगर विद्यालयों में योग्य शिक्षकों की बहाली ही नहीं होगी तो स्कूलों से शहीदों का नाम हटाकर सीएम का नाम जोड़ते हुए अंग्रेजी नाम रख देना शिक्षा के साथ किया गया छल नहीं तो और क्या है? सरकार का यह निर्णय शिक्षा की गुणवत्ता का नहीं, बल्कि शिक्षा के साथ किए गए छल का प्रतीक है। सरकार इतनी अक्षम है कि सरकारी स्कूल वर्षों से बिना प्रधानाध्यापक और प्राचार्य के प्रभारी शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। राज्य में लाखों बीएड प्रशिक्षु हैं, जो लाखों रुपए खर्च करके पढ़े हैं, अधिकांश के अभिभावक अभी भी पढ़ाई के कर्ज में डूबे होंगे, वे सभी बीएड प्रशिक्षु शिक्षक बनने का सपना पाले परिश्रम कर रहे हैं । ऐसे में टीजीटी-पीजीटी के 8900 पदों को समाप्त कर देना उनके साथ घोर विडंबना नहीं तो और क्या है? इतना ही नहीं, नए संवर्ग माध्यमिक आचार्य को पे लेवल घटाना शिक्षक पद की गरिमा से खिलवाड़ नहीं तो और क्या है? कोई भी प्रतिभाशाली और गंभीरता से अध्ययन-अध्यापन करने वाला बीएड प्रशिक्षु कैंडिडेट झारखंड राज्य में शिक्षक पद के लिए आवेदन नहीं करना चाहेगा। अच्छे कैंडिडेट सदैव उन राज्यों या केंद्र सरकार द्वारा संचालित विद्यालयों के लिए आवेदन करेंगे, जहां उनको उनकी योग्यता का उचित सम्मान और वेतन मिलेगा। अगर सरकार स्वयं अपने इस निर्णय का गंभीरता से आकलन करे तो उसे अपने किए की सच्चाई पता चलेगी कि इसका सीधा नुकसान झारखंड राज्य के सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को होगा। वे अभिभावक जो अभी भी किसान, मजदूर और गरीब हैं, उनके बच्चों के लिए एकमात्र सहारा सरकारी विद्यालय और सरकारी शिक्षक ही हैं। वे सभी गरीब अभिभावक अपने बच्चों के अच्छे भविष्य का सपना देख रहे हैं, लेकिन उनके सपनों के साथ भी सरकार का यह निर्णय बहुत बड़ा विश्वासघात है। शिक्षा व्यवस्था को बचाने के लिए घोर विरोध और कठोर आंदोलन किया जाएगा।
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