दो किमी जर्जर सड़क के कारण 19 किमी का चक्कर
लोहरदगा के कैरो प्रखंड की खरता-मेलानी सड़क की स्थिति बहुत खराब है, जिससे ग्रामीणों को 19 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है। यह सड़क कई गांवों को जोड़ती है और छात्रों, किसानों, और मरीजों के लिए...

लोहरदगा, संवाददाता। लोहरदगा के कैरो प्रखंड में विकास और जनसुविधा को सरकारी तंत्र ने इस कदर दरकिनार करके रखा है कि महज दो किलोमीटर जर्जर सड़क की वजह से ग्रामीणों को 19 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। सढ़ाबे पंचायत की खरता-मेलानी सड़क का यह हाल है। यह सड़क खरता, टाटी, दुमरटोली, चाल्हो, ऐड़ादोन सहित कैरो प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों गांवों को जोड़ती है। अन्य कई जगहों से आने-जाने वाले राहगीरों, स्कूल कॉलेज में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं, किसान, मरीजों के लिए खरता-मेलानी सड़क से रांची जिला के अलग अलग जगह व रांची आने जाने के लिए सबसे सीधा और नजदीकी रास्ता है।
झारखंड के वीर शहीदों में एक वीर बुधु भगत की जन्म स्थली सिलागांई भी इसी रास्ते में आता है। कैरो प्रखंड के ज्यादातर छात्र-छात्राओं का कॉलेज व किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए इस रास्ते से जाने पर जहां खरता से चान्हो की दूरी महज सात से आठ किलोमीटर होती है, वहीं खराब सड़क के कारण लोगों को 19 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ जाता है। स्थानीय ग्रामीण बीरबल महली, सुजेश दुबे, बजरंगी यादव, राजेश महतो, चंद्रदेव उरांव, प्रकाश साहू आदि का कहना है कि यह सड़क करीब 40 वर्ष पहले बनी थी, जिसके बाद इसकी मरम्मत भी नहीं हुई। जबकि इस रास्ते के पुर्ननिर्माण की मांग लागातार कई वर्षों ग्रामीणा करते आ रहे हैं। चाहे खरता स्थित मनोकामना सिद्ध बाबा भोलेनाथ मंदिर में मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित 14 जनवरी का मेला हो अथवा सिलागाईं में वीर बुधु भगत के जन्म दिन के अवसर पर आयोजित मेला, हर समय यहां आने वाले राज्य स्तर के नेता से लेकर जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के समक्ष जनता ने एक स्वर में इस सड़क के निर्माण की मांग की है। मगर किसी ने ध्यान नहीं दिया। स्थानीय ग्रामीण कहते हैं कि नेता, मंत्री और अधिकारी अपने मतलब से आते हैं और फिर चले जाते हैं। जबकि इस सड़क निर्माण हो जाने से लोगों को सुविधा होगी वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र का विकास भी गति पकड़ेगा। प्रखंड के अधिकारी कहते रहे समस्या के समाधान की पहल की जाएगी, मगर अबतक हुआ कुछ नहीं है।
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