Minors disappear every fourth day in Jamshedpur, This is the reason for 80 percent of girls running away झारखंड के इस शहर में हर चौथे दिन गायब हो रहे नाबालिग; 80 फीसदी लड़कियों के भागने की ये वजह, Jharkhand Hindi News - Hindustan
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झारखंड के इस शहर में हर चौथे दिन गायब हो रहे नाबालिग; 80 फीसदी लड़कियों के भागने की ये वजह

पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 के जनवरी से अक्तूबर तक 75 नाबालिगों के गायब होने की शिकायत दर्ज की गई है। सभी मामलों में पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज किया है। वहीं, साल 2023 में कुल 98 नाबालिग गायब होने के मामले पुलिस ने दर्ज किए थे।

Ratan Gupta हिन्दुस्तान, जमशेदपुरSat, 7 June 2025 06:58 AM
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झारखंड के इस शहर में हर चौथे दिन गायब हो रहे नाबालिग; 80 फीसदी लड़कियों के भागने की ये वजह

झारखंड के जमशेदपुर से हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। शहर में नाबालिग बच्चों के गायब होने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इनमें लड़कियों की संख्या सबसे अधिक है। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 के जनवरी से अक्तूबर तक 75 नाबालिगों के गायब होने की शिकायत दर्ज की गई है। सभी मामलों में पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज किया है। वहीं, साल 2023 में कुल 98 नाबालिग गायब होने के मामले पुलिस ने दर्ज किए थे।

80 फीसदी लड़कियों के भागने की ये वजह

आंकड़ों के अनुसार, गायब हुए नाबालिगों में लड़कियों की संख्या लड़कों से दोगुनी से भी अधिक है। पुलिस के बरामद आंकड़ों से पता चला है कि 80 प्रतिशत लड़कियां प्रेम प्रसंग के कारण अपने प्रेमी के साथ घर छोड़ जाती हैं, जबकि 10 प्रतिशत पारिवारिक विवाद और 10 प्रतिशत बाल तस्करी के शिकार होती हैं। लड़कों की बात करें तो 90 प्रतिशत लड़के घरवालों से नाराज होकर या काम के सिलसिले में घर छोड़ते हैं।

गायब होने वाले किशोरों की संख्या बढ़ रही है

पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, जिले में नाबालिगों के गायब होने की संख्या साल दर साल बढ़ रही है। वर्ष 2020 में 91, 2021 में 161, 2022 में 137 और 2023 में 98 नाबालिग गायब हुए। कोरोना काल के कारण 2020 में इसमें गिरावट आई थी और केवल 58 गायब होने की शिकायत दर्ज हुई थी।

लड़कियां बड़े शहरों में होती हैं बरामद

पुलिस के मुताबिक, अधिकतर नाबालिग लड़कियां अपने प्रेमी के साथ घर छोड़कर जिले से दूर के बड़े शहरों जैसे हैदराबाद, सूरत, कोलकाता, दिल्ली, गुड़गांव, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु आदि में चली जाती हैं, जहां पुलिस के लिए उन्हें बरामद करना मुश्किल होता है।

पुलिसकर्मियों के अनुसार, नाबालिग बेटियों को बरामद करने के लिए मिलने वाला सरकारी फंड पर्याप्त नहीं है। इस प्रक्रिया में जो भी अतिरिक्त खर्च होता है, वह पुलिस अपने पॉकेट से वहन करती है। एक नाबालिग बेटी को बरामद करने में लगभग 10 से 20 हजार रुपये खर्च होते हैं। इसके साथ-साथ नाबालिगों के साथ दो महिला पुलिसकर्मियों को भी साथ ले जाना होता है।